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जानिए, सीपीआरआइ के आलू बीज की बिक्री पर क्यों लगी रोक

सीपीआरआइ के कुफरी व फागू अनुसंधान केंद्रों में तैयार आलू बीज में निमेटोड पाए जाने के कारण रोक लगी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 12:01 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 12:01 PM (IST)
जानिए, सीपीआरआइ के आलू बीज की बिक्री पर क्यों लगी रोक
जानिए, सीपीआरआइ के आलू बीज की बिक्री पर क्यों लगी रोक

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआइ) शिमला के आलू बीज की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। यह रोक केंद्र सरकार ने लगाई है। सीपीआरआइ के कुफरी व फागू अनुसंधान केंद्रों में तैयार आलू बीज में निमेटोड पाए जाने के कारण यह रोक लगी है। कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

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आलू बीज की बिक्री पर रोक लगने से शोध कार्यों पर भी सवाल उठ रहा है। प्रश्न यह है कि निमेटोड की वैज्ञानिकों ने जांच क्यों नहीं की? बिना जांच के एक हजार क्विंटल आलू बीज सरकार को आपूर्ति करने के लिए कैसे तैयार कर दिया?

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा केंद्र के निमेटोड प्रोजेक्ट के तहत सीपीआरआइ के दो आलू अनुसंधान केंद्रों, आलू बीज उत्पादन करने वाले प्रदेश के 13 सरकारी फार्मों व कई किसानों से आलू बीज के सैंपल लिए गए थे। इनमें से दो आलू अनुसंधान केंद्रों सहित प्रदेश के नौ सरकारी आलू बीज उत्पादन फार्मों व कुछ किसानों के आलू बीज में निमेटोड पाया गया है। हिमाचल में आलू की तीन फसलें ली जाती हैं। अप्रैल, सितंबर और दिसंबर व जनवरी में आलू की बिजाई होती है। इनमें से खरीफ की आलू की फसल में निमेटोड पाया गया है।

जानिए, क्या है निमेटोड

निमेटोड (सूत्रकृमि) को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। निमेटोड आलू के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि रासायनिक आधार पर निमेटोड का उपचार मुश्किल है। एक मादा निमेटोड 350 तक अंडे देती है। निमेटोड की संख्या बहुत जल्द करोड़ों में हो जाती है। निमेटोड आलू की जड़ों को प्रभावित करता है। हाालंकि निमेटोड से ग्रसित आलू को खाने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।

निमेटोड का उपचार

-जिस खेत में पहले आलू बीजे गए हों, उसमें कम से कम दो से तीन वर्ष तक आलू न लगाएं।

-फसल चक्र अपनाएं। बदल-बदल कर फसलें लगाएं।

-मिट्टी की जांच करवा कर उसका उपचार करें।

-आलू बीज को पूरी तरह धो लें ताकि उसमें मिट्टी न रहे।

फसल चक्र अपनाएं

वर्ष 2012 से आलू में निमेटोड पर शोध शुरू हुआ था। लाहुल, कांगड़ा, शिमला के शिलारु और ऊना को छोड़कर हिमाचल में बाकी जगह आलू में निमेटोड मिला है। इसका उपचार जरूरी है जिसके लिए फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए।

-डॉ. वाईएस चंदेल, शोधकर्ता, निमेटोड प्रोजेक्ट एवं सेवानिवृत्त कीट वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर।

निमेटोड का उपचार होगा

केंद्र सरकार ने आलू बीज की बिक्री पर रोक लगाई है। अब निमेटोड के उपचार के लिए व्यवस्था अपनाई जाएगी।

डॉ. एसके चक्रबर्ती, निदेशक, सीपीआरआइ शिमला। 


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