पहले रोको पत्थरबाजी तब लगेगा पैलेटगन पर प्रतिबंध
बातचीत से समस्या का हल निकालने पर कोर्ट ने कहा कि जबतक पत्थरबाजी हो, सड़क और स्कूल बंद हों तबतक बातचीत कैसे हो सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीर में पैलेटगन पर रोक लगाने की मांग करने वालों से शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट ने दो टूक कहा कि पहले वे पत्थरबाजी और हिंसक प्रदर्शनों को रोकें तभी पैलेटगन पर प्रतिबंध का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि अगर वे पत्थरबाजी और हिंसक प्रदर्शन रोकने की कोर्ट में अंडरटेकिंग (शपथपत्र) देते हैं तो कोर्ट सुरक्षा बलों को दो सप्ताह के लिए पैलेटगन का इस्तेमाल रोकने का निर्देश दे सकता है। बातचीत से समस्या का हल निकालने पर कोर्ट ने कहा कि जबतक पत्थरबाजी हो, सड़क और स्कूल बंद हों तबतक बातचीत कैसे हो सकती है।
उधर केन्द्र सरकार ने भी सुप्रीमकोर्ट में साफ किया कि अलगाववादियों या आजादी के नारे लगाने वालों से बात नहीं की जाएगी। ये भी कहा कि वार्ता राजनैतिक स्तर पर कानूनन इसके लिए अधिकृत लोगों से ही हो सकती है। कोर्ट को इस बारे में निर्देश नहीं देना चाहिए।
कश्मीर के मौजूदा माहौल पर मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अधय्क्षता वाली पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में शुक्रवार को ये बातें निकलकर आईं। कोर्ट ने घाटी का माहौल सामान्य बनाने के लिए दोनों पक्षों से सुझाव और रोडमैप देने को कहा और मामले की सुनवाई 9 मई तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि पहल उन्हें ही करनी चाहिए। वे स्थानीय संबंधित लोगों से जिन पर कानून में प्रतिबंध न हो, बातचीत करें। केन्द्र सरकार से कहा कि वह याचिकाकर्ताओं की ऐसे लोगों के साथ बातचीत की सहूलियतें बनाए।
केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अलगाववादियों को छोड़ने की दलील का विरोध किया। जब रोहतगी ने कोर्ट से निर्देश न देने की बात कही तो पीठ ने थोड़ा तल्ख होते हुए कहा कि वे तो सिर्फ माहौल सामान्य बनाए जाने की सहूलियतें तलाशने का प्रयास कर रहे हैं अगर इसमें आपत्ति है तो वे तुरंत सुनवाई बंद कर सकते हैं।
दूसरी तरफ कोर्ट की ओर से अंडरटेकिंग देने की बात पर याचिकाकर्ता के दम फूल गए। उन्होंने हामी नहीं भरी लेकिन कहा कि कोर्ट को माहौल सामान्य बनाने के लिए कुछ निर्देश अवश्य देने चाहिए। याचिकाकर्ता की मांग थी कि संघर्ष विराम हो। एएसपीएफए हटाया जाए और पैलेटगन का इस्तेमाल रुके। कोर्ट ने कहा कि जब लगातार पत्थरबाजी हो, सड़क और स्कूल बंद रहें तो ऐसे में क्या हो सकता है। पहले ये विरोध प्रदर्शन बंद करो तभी बातचीत हो सकती है।