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स्टिंग ऑपरेशन वैध तरीका नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि स्टिंग ऑपरेशन सही तरीका नहीं है। कोर्ट ने इसके जरिये किसी व्यक्ति को फंसाने के लिए उसे प्रलोभन देने पर सवाल उठाया। मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने वर्ष 2003 के नवंबर में हुए स्टिंग ऑपरेशन में तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री दिलीप सिंह जूदे

By Edited By: Published: Fri, 25 Apr 2014 02:12 AM (IST)Updated: Fri, 25 Apr 2014 07:06 AM (IST)
स्टिंग ऑपरेशन वैध तरीका नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि स्टिंग ऑपरेशन सही तरीका नहीं है। कोर्ट ने इसके जरिये किसी व्यक्ति को फंसाने के लिए उसे प्रलोभन देने पर सवाल उठाया।

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मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने वर्ष 2003 के नवंबर में हुए स्टिंग ऑपरेशन में तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री दिलीप सिंह जूदेव को एक काम कराने के लिए रिश्वत देते दिखे दो अभियुक्तों पर आपराधिक षडयंत्र रचने और भ्रष्टाचार के लिए उकसाने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी के इशारे पर हुए उस स्टिंग के लिए रजत प्रसाद और अरविंद विजय मोहन पर मुकदमा चलाने की अनुमति देते हुए कहा कि महज लोकहित में ऐसा किया गया कहने से अपराध खत्म नहीं हो जाता। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने लोकहित में आरके आनंद मामले में स्टिंग ऑपरेशन की स्वीकृति दी थी, लेकिन इस तरीके को सभी मामलों में एक स्वीकार्य सिद्धांत के रूप में स्वीकृति देना कहां तक उचित है यह समझना मुश्किल है।

पीठ ने कहा कि अपराधी को पकड़ने के लिए अनिवार्य रूप से धोखे में डालने वाले अभियान स्टिंग ऑपरेशन निश्चित रूप से नैतिक और आचरण संबंधी सवाल उठाते हैं। पीड़ित जो दूसरे प्रकार से निर्दोष है, वह गोपनीयता और परिस्थितियों का भरोसा पाकर अपराध करने के लिए प्रलोभन का शिकार हो जाता है। इससे सवाल यह उठता है कि ऐसे पीड़ित ने अपराध किया नहीं बल्कि उसे इसके लिए उकसाया गया। दूसरी बात कि जिस तरीके का इस्तेमाल किया गया वह खुद में एक दंडनीय अपराध है।

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