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मनोरंजन के तमाम माध्यमों के बाद भी बरकरार है किताबों के लिए दीवानगी

हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक, लेखक और मीडिया समीक्षक प्रो.सुधीश पचौरी का कहना है कि किताब हमेशा रहेगी।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sat, 22 Apr 2017 06:10 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 03:38 PM (IST)
मनोरंजन के तमाम माध्यमों के बाद भी बरकरार है किताबों के लिए दीवानगी
मनोरंजन के तमाम माध्यमों के बाद भी बरकरार है किताबों के लिए दीवानगी

जागरण संवाददाता,नई दिल्ली। किताबों को लेकर दीवानगी अब भी कम नहीं है। कई शायरों ने जीवन और किताब एक दूसरे का पूरक माना है। किसी का जीवन किताब कि तरह है तो कोई किताब से जीवन संवारता है। टीवी इंटरनेट, सिनेमा तमाम साधन होने के बाद भी किताबों से प्रेम लोगों में कम नहीं हुआ है।

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हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक, लेखक और मीडिया समीक्षक प्रो.सुधीश पचौरी का कहना है कि किताब हमेशा रहेगी। कागज की खुश्बू अलग होती है। किताब पढने समय आप उस पर निशान लगा सकते हैं। किताब को आप छूते हैं, महसूस करते हैं। इसलिए यह हमेशा रहेगी। पुस्तकालय में किताब देख सकते हैं, इनके टाइटल देख सकते हैं और इसमें एक अपनेपन का भाव रहता है। इसलिए तमाम माध्यमों के होने के बाद भी किताब का महत्व कम नहीं होगा। हिंदी में मेरे पसंदीदा लेखक सूरदास, कबीरदास और तुलसीदास हैं। आज के पसंदीदा लेखक दरिद्र हैं। वह स्वयं अपनी किताबों की सकारात्मक समीक्षा के लिए मुझे भेजते हैं। मुझे निर्मल वर्मा का साहित्य पसंद है।


दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्र और सिन तथा थिएटर कलाकार सौरभ शुक्ला किताबों से अपने जुडाव के बारे में बताते हैं कि मैं बचपन में बहुत पढ़ता था। जब मैं छोटा था तो मेरे तो मेरे पिता मुझे दरिया गंज के राजकमल प्रकाशन ले जाते थे और मैं वहां बहुत सी किताबें एक साथ खरीदता था। उसके अगले 15 दिन मेरे लिए बेहतरीन गुजरते थे क्योंकि मैं काफी पढता था। मैं बचपन में और थिएटर के दौरान पढता था। अब पढना मुझे कठिन लगता है। पढने के लिए एकाग्रता चाहिए लेकिन यह नहीं हो पाता। मेरी पत्नी काफी पढती हैं। मेरे दोस्त भी बहुत पढते हैं। उनसे मुझे ईष्र्या होती है। मैं पढ नहीं पाता हूं लेकिन किताबें बहुत खरीदता हूं। मैं इस उम्मीद में किताबें खरीदता हूं कि किसी दिन मेरे पास वक्त होगा और मैं उनको इत्मनान से पढूंगा।


मैं आर्थर मिलर और मोहन राकेश से बहुत प्रभावित हूं। इनकी किताबें मुझे पसंद हैं। मोहन राकेश की एक किताब एकत्र है जिसे उसे मैं हमेशा अपने पास रखता हूं। वर्तमान में रस्किन बांड की कहानियां मुझे बहुत पसंद है। मुझे काशीनाथ सिंह की किताब काशी का अस्सी बहुत पसंद है वह बेहतरीन किताब है।  

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