Move to Jagran APP

गिरमिटिया देशों में हिंदी की स्थितिः पहले और अब

रोजी-रोटी कमाने के लिए अपना देश छोड़ हजारों किलोमीटर दूर गिरमिटिया देशों [कीनिया, मॉरिशस, फिजी, त्रिनिदाद, गुयाना ] में गए भारतीय लोगों को एक दूसरे से जोड़ने में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिंदी ने ही भारतीयों को अपनेपन और आत्मीयता के साथ एक दूसरे से जोड़े रखा।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2015 04:28 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2015 06:34 AM (IST)
गिरमिटिया देशों में हिंदी की स्थितिः पहले और अब

नई दिल्ली। रोजी-रोटी कमाने के लिए अपना देश छोड़ हजारों किलोमीटर दूर गिरमिटिया देशों [कीनिया, मॉरिशस, फिजी, त्रिनिदाद, गुयाना ] में गए भारतीय लोगों को एक दूसरे से जोड़ने में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिंदी ने ही भारतीयों को अपनेपन और आत्मीयता के साथ एक दूसरे से जोड़े रखा। गिरमिटिया देशों में भारतीयों की संख्या अच्छी खासी है। हालांकि, कहा जा सकता है कि आज इन देशों में हिंदी की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। जब गिरमिटिया मजदूर इन देशों में गए कई वर्षों तक इन लोगों नें हिंदी को अपनाए और संयोए रखा, लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी बीत जाने के बाद स्थिति अब वैसी नहीं है।

loksabha election banner

गिरमिटिया देश की सरकारों की ओर से भारत की मदद से हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। लेकिन वर्षों गुजर जाने से गिरमिटिया भारतीयों का हिंदी से रुझान कम हुआ है। वे अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं को तरजीह दे रहे हैं। हालांकि, हिंदी से उनका आत्मीय संबंध बरकरार है।

आज जब भारत विश्व की एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, एेसे में भारत में नौकरी पाने के इच्छुक और भारत में निवेश करने वाले भारतीयों के लिए हिंदी का महत्व काफी बढ़ जाता है। वे जानते हैं कि हिंदी पर अच्छी पकड़ के बिना काम चलने वाला नहीं है। इसके साथ ही पूरे विश्व में हिंदी भाषा का महत्व पहले से काफी बढ़ा है। काफी संख्या में अन्य देश के लोग भी अब भारत में नौकरी के लिए आ रहे हैं। एेसे में उन्हें यहां के माहौल में रचने- बसने के लिए हिंदी जरूरी है।

एक समय था जब विदेशों में तो क्या भारत में भी पढ़े लिखे लोग सार्वजनिक स्थानों पर हिंदी बोलने में हिचकते थे लेकिन आज वह स्थिति नहीं है। आज लोग शान से हिंदी बोलते हैं। हिंदी के प्रचार- प्रसार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी योगदान कम नहीं है। अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ होते हुए भी मोदी विदेशों में और वैश्विक सम्मेलनों में हिंदी में बोलते हैं और शान से बोलते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.