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राज्यों को नहीं मिलेगा भटकल को हिरासत में लेने का मौका

आतंकी सरगना यासीन भटकल को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की विभिन्न राज्यों की तमन्ना पूरी नहीं होगी। खुफिया ब्यूरो (आइबी) भटकल को राज्य पुलिस को हिरासत में देने के पक्ष में नहीं है। उसे भटकल से अलग-अलग पूछताछ में परस्पर विरोधी तथ्य सामने आने की आशंका सता रही है। साथ ही वह राज्य पुलिस की हिरासत में भटकल की सु

By Edited By: Published: Sun, 08 Sep 2013 07:44 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2013 07:52 PM (IST)
राज्यों को नहीं मिलेगा भटकल को हिरासत में लेने का मौका

नई दिल्ली, [नीलू रंजन]। आतंकी सरगना यासीन भटकल को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की विभिन्न राज्यों की तमन्ना पूरी नहीं होगी। खुफिया ब्यूरो (आइबी) भटकल को राज्य पुलिस को हिरासत में देने के पक्ष में नहीं है। उसे भटकल से अलग-अलग पूछताछ में परस्पर विरोधी तथ्य सामने आने की आशंका सता रही है। साथ ही वह राज्य पुलिस की हिरासत में भटकल की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है।

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दरअसल यासीन भटकल महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में बम धमाकों के कई मामलों में वांछित है। इनमें अधिकांश की जांच राज्य पुलिस के जिम्मे है। जाहिर है जांच पूरी कर आतंकी सरगना के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के पहले उनके लिए भटकल से हिरासत में पूछताछ करना जरूरी है। कानूनन इसे रोका नहीं जा सकता है, लेकिन आइबी अधिकारियों को डर है कि अलग-अलग पूछताछ के दौरान भटकल के विरोधी बयान सामने न आ जाएं। इससे उसके खिलाफ अदालत में मामला कमजोर पड़ सकता है। इसके अलावा ब्यूरो भटकल की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है। गिरफ्तारी के बाद भटकल को पटना से दिल्ली बीएसएफ के विशेष विमान से लाया गया था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे सीआरपीएफ कैंप में रखा गया। जाहिर है राज्यों की पुलिस इतनी सुरक्षा का इंतजाम नहीं कर सकती है। ब्यूरो अधिकारी पुणे की जेल में बंद आइएम आतंकी की हत्या का उदाहरण पेश कर रहे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभिन्न राज्यों की पुलिस को अपने-अपने मामलों के सिलसिले में दिल्ली के सीआरपीएफ कैंप में ही पूछताछ की इजाजत दी सकती है, जहां आइबी अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। आइबी राज्य पुलिस के पहुंचने के पहले एनआइए के मार्फत यासीन भटकल का मजिस्ट्रेट के सामने 164 का बयान भी कराने की तैयारी में है। इसके लिए अधिकारियों ने भटकल को मनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। 164 के बयान को अदालत में सबूत माना जाता है और बाद में उससे पलटने का कोई रास्ता नहीं बचता है।

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