पंचायतों की पारदर्शिता में उदासीन राज्य, सिर्फ केरल में सौ प्रतिशत खातों का ऑडिट
पांचवें वित्त आयोग का गठन करने वाले 16 राज्य हैं लेकिन सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही क्रियाशील है। मंत्रालय द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि वित्त आयोग का गठन न करने वाले राज्यों को 2024-25 से केंद्रीय वित्त आयोग से अनुदान नहीं दिया जाएगा।
नई दिल्ली, जितेंद्र शर्मा। गांवों के विकास को प्राथमिकता पर लेकर चल रही केंद्र सरकार चाहती है कि ग्रामीण स्थानीय निकाय वित्तीय रूप से पूरी तरह पारदर्शी बनें, लेकिन लगभग सभी राज्य इसके प्रति उदासीन ही रहे हैं। पंचायतों के खातों का आडिट कराने से अपने हाथ खींचते रहे हैं। वह तो 15वें वित्त आयोग ने खातों के आडिट को अनुदान लेने के लिए अनिवार्य कर दिया, इसलिए राज्यों को जोर लगाना पड़ा।
शत-प्रतिशत पंचायतों के खातों का आडिट
कई राज्य पिछले दो वित्तीय वर्षों के आडिट की 25 प्रतिशत की न्यूनतम सीमा को ही छू सके हैं। केरल एकमात्र राज्य है, जहां शत-प्रतिशत पंचायतों के खातों का आडिट कराया गया है। हालांकि, अनुदान पर से संकट अब भी छंटा नहीं है, क्योंकि सिर्फ नौ राज्य ही अब तक छठवें वेतन आयोग का गठन कर सके हैं। इस शर्त को पूरा न करने वाले राज्यों को वर्ष 2024-25 से अनुदान नहीं दिया जाएगा।
15वें वित्त आयोग ने अनुदान के लिए रखी शर्त
पंचायतों को वित्तीय रूप से पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय पंचायतीराज मंत्रालय ने सभी राज्यों को पंचायत खातों के आडिट की आनलाइन सुविधा वर्ष 2020 में उपलब्ध करा दी थी। उनसे कहा गया कि समयबद्ध रूप से खातों का आडिट कराकर आडिट आनलाइन प्लेटफार्म पर रिपोर्ट को अपलोड करें। इसके बाद वर्ष 2021 में 15वें केंद्रीय वित्त आयोग ने यह शर्त अनिवार्य कर दी कि 2023-24 से सिर्फ उन्हीं राज्यों को वित्त आयोग से अनुदान दिया जाएगा, जिनकी शत-प्रतिशत पंचायतों के खातों का आडिट हो चुका होगा।
तब खुली बाकी प्रदेशों की आंख
साथ में राहत इतनी दे दी कि सभी राज्य वर्ष 2019-20 और 2020-21 आडिट काल के लिए कम से कम 25-25 प्रतिशत पंचायतों का ही आडिट करा लें। तब राज्यों की आंख खुली और इस दिशा में काम शुरू किया। इनमें सिर्फ केरल ऐसा राज्य है, जहां शत-प्रतिशत पंचायतों के खातों का आडिट हो चुका है। उत्तर प्रदेश की भी स्थिति बेहतर है, जहां 92-92 प्रतिशत आडिट कराया जा चुका है। पंचायतीराज मंत्रालय की ओर से दावा किया गया है कि न्यूनतम 25 प्रतिशत वाले लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है।
नौ राज्य ही गठित कर सके छठवां वित्त आयोग
वर्ष 2022-23 के लिए 100 प्रतिशत खातों के आडिट की प्रक्रिया चल रही है। खातों के आडिट के अलावा एक और उदासी राज्यों के सामने संकट खड़ा कर सकती है। मंत्रालय के मुताबिक, वर्तमान में सभी राज्यों में छठवें वित्त आयोग का गठन हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कुल नौ राज्य असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम और तमिलनाडु ही ऐसे हैं, जहां छठवें राज्य वित्त आयोग का गठन हुआ है। इनमें भी क्रियाशील सिर्फ सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में हैं।
वहीं, पांचवें वित्त आयोग का गठन करने वाले 16 राज्य हैं, लेकिन सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही क्रियाशील है। मंत्रालय द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि वित्त आयोग का गठन न करने वाले राज्यों को 2024-25 से केंद्रीय वित्त आयोग से अनुदान नहीं दिया जाएगा।