नीति आयोग की बैठक में मुद्दा उठाने के बाद राज्यों को मिली राहत
वित्त मंत्रालय ने राज्यों को अतिरिक्त उधार लेने के लिए जरूरी केंद्र सरकार की अनुमति देने संबंधी दिशानिर्देशों में बदलाव का फैसला किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यों के लंबित मुद्दों के समाधान में नीति आयोग प्रभावी संस्था के रूप में उभर रहा है। इसका ताजा सबूत यह है कि वित्त मंत्रालय ने राज्यों को अतिरिक्त उधार लेने के लिए जरूरी केंद्र सरकार की अनुमति देने संबंधी दिशानिर्देशों में बदलाव का फैसला किया है। मंत्रालय ने यह निर्णय 17 जून को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में कुछ राज्यों के यह मुद्दा उठाने के महज आठ दिन के भीतर किया है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार जो राज्य उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत की सीमा से अधिक उधार लेने के लिए केंद्र से मंजूरी का आग्रह करेंगे तो उस पर तभी विचार कर लिया जाएगा। अब तक यह व्यवस्था थी कि जब कई राज्यों के प्रस्ताव जमा हो जाते थे तब उन पर विचार किया जाता था। इसके चलते कई राज्यों को अनावश्यक विलंब होता था जिसके चलते उन्हें कठिनाई होती थी।
मंत्रालय के मुताबिक नीति आयोग की 17 जून को हुई गवर्निंग काउंसिल की चौथी बैठक में कुछ राज्यों ने यह मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि अतिरिक्त राशि उधार लेने के लिए वित्त मंत्राालय के व्यय विभाग से मंजूरी लेने में बहुत वक्त लगता है। इसकी वजह दरअसल यह थी कि व्यय विभाग कई राज्यों के प्रस्ताव मिलने के बाद उन पर एक साथ विचार करता था।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार ने कॉपरेटिव फेडरलिज्म को ध्यान में रखते हुए राज्यों के अतिरिक्त उधार लेने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी देने के दिशानिर्देशों में बदलाव किया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी नीति आयोग केंद्र के साथ लंबित राज्यों के मुद्दों के समाधान में अहम भूमिका निभा चुका है। आयोग की गवर्निंग काउंसिल ने भी विभिन्न मुद्दों पर आम राय बनाने में अहम भूमिका निभायी है।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक राज्य सरकार अपने जीएसडीपी के तीन प्रतिशत के बराबर बाजार से उधार उठा सकती है। अगर उसे इस सीमा से अधिक राशि बाजार से उधार लेनी है तो इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति की आवश्यकता होती है। राज्य सरकार उसके जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सीमा से 0.5 प्रतिशत ऊपर तक अतिरिक्त राशि उधार ले सकती हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें चौदहवें वित्त आयोग की शर्ते पूरी करनी होती हैं। वित्त आयोग की शर्ते यह हैं कि जिस साल कोई राज्य निर्धारित सीमा से अतिरिक्त राशि उधार लेना चाहता है उससे पूर्व वर्ष में उसका कर्ज-जीएसडीपी अनुपात 25 प्रतिशत या इससे कम तथा ब्याज अदागयी राजस्व प्राप्तियों की 10 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।