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राज्य सजा रद या कम करने के हकदार

तमिलनाडु सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्यों के पास अपराधियों की सजा रद या कम करने का अधिकार होता है। राकेश द्विवेदी ने कहा कि आपराधिक मामलों में दया का अधिकार किसी विशेष शर्त पर आधारित नहीं होता।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 10:21 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 10:33 PM (IST)
राज्य सजा रद या कम करने के हकदार

नई दिल्ली । तमिलनाडु सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्यों के पास अपराधियों की सजा रद या कम करने का अधिकार होता है। राकेश द्विवेदी ने कहा कि आपराधिक मामलों में दया का अधिकार किसी विशेष शर्त पर आधारित नहीं होता।

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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के सामने तमिलनाडु सरकार का पक्ष रखते हुए द्विवेदी ने कहा, 'जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार अपराध प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकती है।' उन्होंने कहा कि केंद्र को उसके इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका पर सुनवाई की बहस के दूसरे दिन उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों पिछली कांग्रेसी सरकारों ने उनकी दया याचिका पर निर्णय को लंबित किए रखा था। उन्होंने पूछा कि अपने दस वर्ष के राज के दौरान संप्रग सरकारों ने पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को फांसी की सजा क्यों नहीं दी थी।

गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुनवाई कर रही पीठ तमिलनाडु सरकार द्वारा राजीव गांधी के हत्यारों की सजा माफ करने के विरोध में केंद्र सरकार की याचिका पर फैसला लेगी। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा एक आरोपी की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने पर भी पीठ अपना फैसला सुनाएगी।

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