...तो इसलिए भारत में नहीं शुरू हो पा रहे स्टार्टअप्स, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
एक अध्ययन में पाया गया है कि 35% भारतीय छात्र मार्गदर्शन की कमी के कारण स्टार्टअप शुरू करने में असमर्थ महसूस करते हैं। तीन-चौथाई छात्र स्टार्टअप शुरू करने के इच्छुक हैं, लेकिन 22% को फंडिंग और कानूनी मामलों में मार्गदर्शन की कमी का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में शासन को विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

35% छात्र मार्गदर्शन के अभाव से परेशान।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय विश्वविद्यालयों के 35 प्रतिशत छात्र ये महसूस करते हैं कि उचित मार्गदर्शन के अभाव में वे अपना खुद का स्टार्टअप शुरू नहीं कर पाते क्योंकि राह में आनेवाली चुनौतियों से पार पाने में उन्हें कठिनाई होती है और वे हतोत्साहित हो जाते हैं।
हालांकि, तीन-चौथाई छात्र अपना स्टार्ट-अप शुरू करना चाहते हैं, जो पसंदीदा करियर के रूप में उद्यमशीलता के बढ़ते रुझान को दर्शाता है। एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि 22 प्रतिशत छात्रों के सामने फंडिंग का भी सवाल होता है और साथ ही कानूनी मसलों पर उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल पाता।
35% छात्र मार्गदर्शन के अभाव से परेशान
'युवा उद्यमिता एवं स्टार्ट-अप गवर्नेंस- अगली पीढ़ी के नेताओं को स्थिरता और सफलता की ओर मार्गदर्शन' शीर्षक वाली ये रिपोर्ट भारतीय विश्वविद्यालयों के 1000 छात्रों और संस्थापकों, सीएक्सओ, निवेशकों और इकोसिस्टम विशेषज्ञों सहित 200 उद्योग पेशेवरों को शामिल करते हुए दोहरे अध्ययन पर आधारित है।
बीएमएल मुंजाल यूनिवर्सिटी की लीडरशिप समिट में इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को जारी किया गया। इसमें बताया गया कि एक पीढ़ी जो कि न केवल महत्वाकांक्षी है, बल्कि पारदर्शिता और विश्वास पर आधारित उद्यम बनाने के लिए उत्सुक भी है। 35 प्रतिशत प्रतिभागियों ने मार्गदर्शन के अभाव को इस राह में सबसे बड़ी अड़चन बताया।
तीन-चौथाई छात्र चाहते हैं स्टार्टअप
24 प्रतिशत छात्रों ने कानूनी और वित्तीय मामलों में मार्गदर्शन की कमी और 22 प्रतिशत ने वित्तपोषण की परेशानियों को राह का रोड़ा बताया। 13 प्रतिशत ने विफलता के डर का हवाला दिया, जबकि सात प्रतिशत छात्रों ने कहा कि वे पढ़ाई के साथ-साथ उद्यम शुरू करने की वजह से संतुलन नहीं बना पाएंगे।
पहले बोझ माने जानेवाले गवर्नेंस के मुद्दे को अब स्थिरता और पैमाने के लिए उत्प्रेरक के तौर पर देखा जा रहा है। उद्योग जगत के आधे से ज्यादा प्रतिभागियों ने गवर्नेंस को विकास के लिए प्रेरक माना, जबकि 33 प्रतिशत का कहना था कि युवाओं द्वारा संचालित स्टार्ट-अप्स में गवर्नेंस सबसे कमजोर कड़ी होती है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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