भारत-रूस आर्थिक संबंधों के लिए सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच बेहतरीन अवसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 जून को रूस में भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए होंगे। इसमें वह आने वाले दशकों में आर्थिक सहयोग के एजेंडे की रूपरेखा पर रूसी राष्ट्रपति से चर्चा करेंगे।
सेंट पीटर्सबर्ग, एएनआइ। रूस में भारतीय राजदूत पंकज सरन का कहना है कि सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच भारत के लिए मास्को के साथ अपने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने का एक अच्छा अवसर है, क्योंकि दोनों देशों के बीच पहले से ही बहुत मजबूत राजनीतिक संबंधों हैं।
दरअसल, यह पहली बार है जब भारत को एक अतिथि देश के तौर पर आमंत्रित किया गया है और पहली बार एक भारतीय प्रधानमंत्री को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। सरन ने बताया, 'यह देश के लिए सौभाग्य की बात है कि भारत को विश्व की एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में मान्यता दी गई है।'
सरन ने कहा, 'यह मंच भारत के लिए अपने हितों के क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए एक अवसर है। भारत में रूसी व्यवसायियों और रूसी प्रौद्योगिकी को आमंत्रित करने का मौका है। यह भारत के विकास की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए भी एक बेहतर अवसर है। दूसरी ओर, हमारी कंपनियों को भी रूस में निवेश करने के बारे में पता चल सकेगा।'
रूस के साथ रक्षा संबंधों और सहयोग पर भारतीय राजदूत ने कहा कि नई दिल्ली अब सैन्य उपकरणों के निर्माण के मामले में संयुक्त उद्यमों की ओर कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, 'हमारे 70 फीसद सैन्य उपकरण रूसी मूल के हैं और अब हम अधिक सह-उत्पादन और संयुक्त उपक्रमों और भारत में रक्षा वस्तुओं के अधिक उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि रूसी कंपनियां भारत में आए, यहां अपना बेस सेट करें, भारत में निर्माण करें, भारतीय निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी साझा करें और यह सब जल्द शुरू होने वाला है।'
साथ ही सरन ने कहा कि कामोव हेलीकॉप्टर और सुखोई एयरक्राफ्ट के निर्माण पर दोनों देशों के बीच हुई सहमति इस प्रकार का एक अच्छा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि रूस के साथ रक्षा सहयोग बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है, क्योंकि वर्तमान में यह सिर्फ विनिर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संयुक्त अभ्यास और उच्च स्तरीय यात्राओं का दौर भी चल रहा है। भारत के साथ रूस के परमाणु ऊर्जा सहयोग पर बोलते हुए राजदूत ने कहा, 'आज रूस परमाणु ऊर्जा की स्थापना में भारत का एकमात्र विदेशी भागीदार है। हमने कई देशों के साथ चर्चा की, लेकिन समझौता सिर्फ रूस के साथ ही हो पाया।'
हाल ही में रूस-पाकिस्तान के संयुक्त सैन्य अभ्यास पर उन्होंने कहा, 'रूस के साथ हमारा संबंध आपसी विश्वास पर आधारित है और इसकी नींव बहुत मजबूत है। इसलिए हमें केवल यह देखने की जरूरत है कि हम अपने संबंधों को कैसे मजबूत कर सकते हैं। यह ध्यान देने की जरूरत नहीं कि अन्य देश क्या कर रहे हैं।'
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 जून को रूस में भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए होंगे। इसमें आने वाले दशकों में आर्थिक सहयोग के एजेंडे की रूपरेखा तय करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पीएम मोदी की चर्चा होगी।
इसे भी पढ़ें: रूस से संबंधों पर डोनाल्ड ट्रंप के निजी वकील भी जांच के दायरे में