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दरगाह में आग के बाद कश्मीर बंद, लोग बेहाल

कश्मीर में सूफी इस्लाम और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की प्रतीक दस्तगीर साहिब की लगभग 300 साल पुरानी जियारतगाह सोमवार सुबह रहस्यमय परिस्थितियों में लगी आग से जलकर खाक हो गई। आग के बाद भड़की हिंसा के चलते पूरे कश्मीर में अघोषित क‌र्फ्यू लगा है। सड़कों पर एकदम सन्नाटा पसरा है।

By Edited By: Published: Tue, 26 Jun 2012 11:31 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2012 02:37 PM (IST)
दरगाह में आग के बाद कश्मीर बंद, लोग बेहाल

श्रीनगर। राज्य सरकार घाटी की तीन सौ वर्ष पुरानी सूफी दरगाह में लगी आग के बाद अब यहां मौजूद सभी पुरानी दरगाहों में आग से निपटने के इंतजामों की जांच करेगी। राज्य सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है जो इस दरगाह को दोबारा से सही करने के लिए दो सप्ताह के भीतर प्लान बनाकर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

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कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर असगर सामून ने कहा कि एक कमेटी कश्मीर की सभी पुरानी दरगाहों की भी जांच करेगी। असगर को तीन सौ वर्ष पुरानी सूफी दरगाह दस्तगीर साहिब में लगी आग की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है। सोमवार को हुई अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक में दरगाह को दोबारा सही करने पर भी विचार विमर्श किया गया। कमेटी दो सप्ताह के अंदर इस दरगाह को सही करने का प्लान बनाएगी।

कश्मीर में सूफी इस्लाम और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की प्रतीक दस्तगीर साहिब की लगभग 300 साल पुरानी जियारतगाह सोमवार सुबह रहस्यमय परिस्थितियों में लगी आग से जलकर खाक हो गई। आग के बाद भड़की हिंसा के चलते पूरे कश्मीर में अघोषित क‌र्फ्यू लगा है। सड़कों पर एकदम सन्नाटा पसरा है। दरगाह में लगी आग का असर पूरे राज्य में देखने को मिला है। सूत्रों के मुताबिक, लगभग दो दर्जन से ज्यादा लोग यहां हुए हिंसक प्रदर्शन में घायल हो चुके हैं। एक व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो चुकी है।

दरगाह में लगी आग के बाद घाटी में तनाव का माहौल है। मंगलवार को भी यहां स्कूल और कालेज समेत सभी बाजार बंद हैं। आग लगने के कारणों के बारे में भी अभी तक कोई आधिकारिक कारण का पता नहीं चल सका है। प्रशासन और सरकार के सभी नुमाइंदों ने भी चुप्पी साध रखी है। अधिकांशत: लकड़ी की बनी दरगाह आग में जलकर स्वाहा हो गई।

हालांकि, जियारतगाह में रखे गए सूफी संत, कादिरया संप्रदाय के जनक और कुर्दो के प्रथम संत शेख अब्दुल कादिर जिलानी के पवित्र अवशेष व उनका मुए मुकद्दस पूरी तरह सुरिक्षत है। लेकिन वास्तुशिल्प, लकड़ी की कारीगरी और बेशकीमती झूमर आग में नष्ट हो गए।

डाउन-टाउन के खानयार इलाके में स्थित जियारतगाह में लगी आग के बाद पूरे श्रीनगर शहर में जबरदस्त तनाव है। कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें देर शाम तक 10 पुलिसकर्मियों समेत करीब दो दर्जन लोग जख्मी हो गए हैं। लोगों ने विधि मंत्री अली मुहम्मद सागर के काफिले पर जमकर पथराव किया। उदारवादी वरिष्ठ नेता नईम अहमद खान और शब्बीर अहमद शाह के साथ भी धक्का-मुक्की की गई।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दस्तगीर साहिब की जियारत में आग की घटना पर गहरा दुख जताते हुए जांच का आदेश दिया है और मुस्लिम वक्फ बोर्ड से जियारतगाह की मरम्मत शुरू करने को कहा है। राज्यपाल एनएन वोहरा ने जियारतगाह में आग लगने पर गहरा दुख जताया है।

जियारतगाह में आग सुबह करीब साढ़े छह बजे फजर की नमाज के बाद लगी। आग जियारतगाह की ऊपरी मंजिल [जनानखाना] में कथित तौर पर बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट से लगी। खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंच कर आग बुझाने में जुट गए। इस बीच, आग बुझाने पहुंची दमकल विभाग की गाडि़यों में पानी न होने और फायर वॉटर प्वाइंट के बंद होने से लोगों का गुस्सा और भड़क गया। लोगों ने दमकलकर्मियों और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। हालात काबू करने के लिए पुलिस ने भी बलप्रयोग किया।

मई, 1995 में चरार-ए-शरीफ में आतंकियों द्वारा लगाई गई आग में नुदंऋषि की जियारतगाह के नष्ट होने के बाद यह वादी की दूसरी बड़ी जियारतगाह है, जो आग से तबाह हुई है। दस्तगीर साहिब की जियारतगाह को स्थानीय हिंदू भी पूरी आस्था से पूजते हैं। वह उन्हें 'कहनेव' अथवा 11 नाम वाले संत कहते हैं।

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