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श्रीलंका के बदले सुर, विदेश सचिव ने कहा- हमारे लिए भारत पहले, चीन से समझौता एक चूक

विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज ने कहा कि नई क्षेत्रीय विदेश नीति के तहत श्रीलंका भारत पहले के दृष्किोण को अपनाएगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 06:09 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 06:09 AM (IST)
श्रीलंका के बदले सुर, विदेश सचिव ने कहा- हमारे लिए भारत पहले, चीन से समझौता एक चूक
श्रीलंका के बदले सुर, विदेश सचिव ने कहा- हमारे लिए भारत पहले, चीन से समझौता एक चूक

कोलंबो, एजेंसियां। श्रीलंका ने देश में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बीच अपनी नई विदेश नीति में भारत को प्राथमिकता देने की घोषणा की है। विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज ने कहा कि वैसे तो श्रीलंका 'तटस्थ' विदेश नीति के साथ आगे बढ़ना चाहेगा, लेकिन जब भारत की सामरिक सुरक्षा की बात आएगी, तब वह 'भारत पहले' की नीति को अपनाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को 99 साल की लीज पर दिए जाने का फैसला एक चूक थी।

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कुछ मीडिया हाउस को दिए गए साक्षात्कार में कोलंबेज ने कहा कि नई क्षेत्रीय विदेश नीति के तहत श्रीलंका 'भारत पहले' के दृष्किोण को अपनाएगा। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, 'चीन दूसरी और भारत छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वर्ष 2018 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था थी। श्रीलंका यह कतई स्वीकार नहीं कर सकता, उसे स्वीकार करना भी नहीं चाहिए और वह स्वीकार करेगा भी नहीं कि उसका इस्तेमाल किसी अन्य देश और खासकर भारत के खिलाफ किया जाए। हमें भारत से लाभ लेना है। राष्ट्रपति ने भले ही हमें सुरक्षा के मसलों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है, लेकिन हम देश के आर्थिक लाभ के लिए भी काम करेंगे।' कोलंबेज सैन्य पृष्ठभूमि वाले श्रीलंका के पहले विदेश सचिव हैं।

हंबनटोटा बंदरगाह में चीन के निवेश पर कोलंबेज ने कहा, 'श्रीलंका ने पहले भारत को ही इसकी पेशकश की थी। बाद में इस बंदरगाह के लिए चीनी कंपनी के साथ समझौता किया गया। अब हमने हंबनटोटा बंदरगाह की 85 फीसद हिस्सेदारी चाइना मर्चेंट होल्डिंग कंपनी को दे दी है। इसे व्यावसायिक गतिविधियों तक सीमित रखना चाहिए। यह सैन्य उद्देश्य के लिए कतई नहीं है।' उन्होंने कहा कि पोर्ट वर्कर ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति राजपक्षे कोलंबो पोर्ट के पूर्वी टर्मिनल के मामले में भारत के साथ आपसी सहयोग के मसौदे पर आगे बढ़ेंगे।

कोलंबो पोर्ट श्रीलंका का सबसे बड़ा और व्यस्ततम बंदरगाह है। यह हिंद महासागर में सामरिक दृष्टिकोण से भी काफी अहम है। बता दें कि भातीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राजपक्षे की टीम की सत्ता में वापसी के बाद हाल ही में अपने श्रलंकाई समकक्ष दिनेश गुनवर्धने से संपर्क किया था। चीन के करीब रहे श्रीलंका की बदलती विदेश नीति भारत के लिए एक मौका साबित हो सकती है।


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