सरकार और संगठन में होंगे बड़े बदलाव
संप्रग सरकार के मंत्रिमंडल और कांग्रेस संगठन में बड़े पैमाने फेरबदल की तैयारियों के बीच तमाम मंत्रियों और नेताओं ने अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। यद्यपि राष्ट्रपति चुनाव यानी जुलाई तक संगठन और सरकार में किसी भी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन कुछ मंत्रियों ने आलाकमान से संगठन में जाने की इच्छा जता दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संप्रग सरकार के मंत्रिमंडल और कांग्रेस संगठन में बड़े पैमाने फेरबदल की तैयारियों के बीच तमाम मंत्रियों और नेताओं ने अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। यद्यपि राष्ट्रपति चुनाव यानी जुलाई तक संगठन और सरकार में किसी भी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन कुछ मंत्रियों ने आलाकमान से संगठन में जाने की इच्छा जता दी है। गुलाम नबी आजाद, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद और व्यालार रवि ने मंत्री पद छोड़ कर संगठन के लिए काम करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, जयराम और व्यालार रवि ने इस तरह की चर्चाओं को सिरे से खारिज कर दिया।
सरकार से संगठन में जाने की चर्चाओं पर संप्रग के सबसे वरिष्ठ मंत्री प्रणब मुखर्जी ने चुटकी लेते हुए कहा, 'हर कोई पार्टी का काम कर रहा है। चाहे वह सरकार में हो या फिर संगठन में। सरकार में काम कर रहे लोग संगठन के बाहर से नहीं आए हैं।' कांग्रेस महासचिव व केंद्रीय चुनाव समिति के चेयरमैन आस्कर फर्नाडीज ने भी बदलाव को सतत प्रक्रिया बताकर पल्ला झाड़ लिया।
वहीं, कांग्रेस भी अधिकृत रूप से इस मामले पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं कर रही है। अलबत्ता शीर्ष सूत्रों ने एक बात स्पष्ट कर दी कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले किसी भी तरह का फेरबदल नहीं होगा। साथ ही सोनिया गांधी को पत्र लिखने के बाबत उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों के बाद कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा भेजा था।
इसी तरह गुलाम नबी आजाद लंबे समय से सिर्फ संगठन में काम करने की इच्छा जता रहे हैं। दिक्कत यह है कि संगठन में भी उनके प्रोफाइल लायक जगह तलाश करना बहुत मुश्किल है। इनके अलावा व्यालार रवि और जयराम रमेश के नाम भी हवा में चले। लेकिन इन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखने या इस्तीफे की पेशकश करने से साफ इन्कार कर दिया। चूंकि, जयराम रमेश संप्रग-एक की सरकार आने से पहले कांग्रेस के 'वार रूम' के सर्वेसर्वा थे, लिहाजा उन्हें फिर से वैसी ही भूमिका देने की बात चल रही है। इसी तरह व्यालार रवि को संगठन के लिए आंध्र प्रदेश भेजने की चर्चा है। कांग्रेस के शीर्ष पदस्थ सूत्र अभी इन चर्चाओं को कोरी अफवाह ही करार दे रहे हैं।
उनका साफ कहना है कि एंटनी समिति की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद ही कांग्रेस 2014 का तैयारियों का रोडमैप तैयार करेगी। हार के लिए जिम्मेदार नेताओं पर कार्रवाई और मेहनत करने वालों को इनाम देने की पुरजोर पैरवी के चलते बड़े फेरबदल की संभावना से कोई इन्कार नहीं कर रहा है। मगर उनका साफ कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले कोई व्यापक फेरबदल नहीं होगा।
निष्क्रियता के आरोपों को खारिज करने पर सोनिया का जोर
नई दिल्ली। लोक सभा में पहले दिन अपने आठ सांसदों पर निलंबन की कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने बजट सत्र के दूसरे हिस्से में अपनी रणनीति के कील-कांटे फिर से दुरुस्त किए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर शाम को संसदीय रणनीति के लिए बनी कोर कमेटी की बैठक में इस सत्र में आने वाले विधेयकों को पारित कराने और समर्थन जुटाने की रणनीति तैयार हुई। इस बजट सत्र के जरिए सरकार पर लग रहे नीतिगत निष्क्रियता के आरोपों को खारिज करने की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी, अहमद पटेल, एके एंटनी, पी चिदंबरम, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, पवन बंसल, नारायणसामी जैसे नेताओं ने विस्तार से सत्र के सभी पहलुओं पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक, लोकपाल विधेयक को राज्य सभा में 10 मई के बाद लाने पर सहमति बनी है। वहीं, विवादास्पद मुद्दे खासतौर से जिन पर संप्रग सरकार के सहयोगी सहमत नहीं हैं, उस पर भी चर्चा हुई। राज्यों को उद्धेलित करने वाले एनसीटीसी पर भी विचार-विमर्श हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष का जोर इस संसद सत्र में ज्यादा से ज्यादा विधायी कार्य करवाने का था, ताकि सरकार पर निष्क्रियता के आरोपों को नकारा जा सके।
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