देश के पांच शहरों में लगेगी खास घड़ियां, जानिये किस सेक्टर में होगा इस्तेमाल
खास घड़ी का निर्माण सीएसआईआर( वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) ने किया है, जो एटामिक बेस है।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। समय की अहमियत कुछ लोगों के लिए मायने न रखती हो, लेकिन इसे समझने वालों के लिए देश के बड़े शहरों में अब कुछ खास घड़ियां लगाई जाएंगी। जो मौजूदा समय में इस्तेमाल में ली जाने वाली घड़ियों के मुकाबले ज्यादा सटीक समय बताएंगी।
इनमें सही समय के मुकाबले महज नैनो सेकेंड का अंतर होगा। जबकि मौजूदा समय में इस्तेमाल होने वाली घड़ियों में यह अंतर 60 से 90 सेकेंड तक होता है। फिलहाल इन घड़ियों को लगाने की शुरूआत देश के पांच शहरों से होगी। जिनमें फरीदाबाद, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, बंगलूरु और अहमदाबाद शामिल है।
मौजूदा घड़ियों के मुकाबले समय को ज्यादा सटीक बताने वाली इस खास घड़ी का निर्माण सीएसआईआर( वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) ने किया है। जो एटामिक बेस है। लेकिन मौजूदा समय में इन घड़ियों से समय सिर्फ इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ही ले रहा है।
सेटेलाइट के प्रक्षेपण इसी समय का इस्तेमाल करता है। अब इस समय को सरकार के दूसरे विभागों में अपनाने को लेकर पहल तेज हुई है। लेकिन इसमें सबसे तेज पहल लीगल मेट्रोलोजी विभाग ने की है, जिनसे देश को सही समय बतलाने के लिए मुख्य शहरों में इन घड़ियों को लगाने की आॅर्डर दिया है।
विभाग ने इसके लिए एनपीएल को फिलहाल पांच शहरों में इन घडि़यों को स्थापित करने के लिए सौ करोड़ से ज्यादा की राशि की जारी है। जिस पर एनपीएल ने काम शुरू कर दिया है। इसके तहत 30 महीने के भीतर इन घड़ियों को लगा दिया जाएगा।
एनपीएल के डायरेक्टर डॉ डीके असवाल के मुताबिक अमेरिका जैसे देश में भी लोगों को सही समय बताने के लिए ऐसी ही 40 घड़ियां लगाई गई है। जिससे लोग अपने काम-काज और दैनिक जीवनचर्या को तय करते है।
डॉ असवाल के मुताबिक यह सटीक समय वित्तीय सेवाओं और टेलीकॉम के लिए काफी अहम हो सकता है। क्योंकि शेयर मार्केट से लेकर बैंकों का सारा कारोबार एक-एक सेकेंड में ऊपर- नीचे होता रहा है, ऐसे में सटीक समय के इस्तेमाल से ज्यादा लाभ हासिल किया जा सकता है। साथ ही साइबर क्राइम की रोकथाम में भी मददगार साबित हो सकता है।
सेना ने भी जताई है रुचि
एनपीएल के इस स्टैंडर्ड समय को लेकर सेना ने भी रुचि दिखाई है। इस संबंध में सेना के वरिष्ठ अधिकारी की एनपीएल के साथ कई दौर की चर्चा हो चुकी है। वह इसकी मदद से अपनी रक्षा रणनीति को और पुख्ता करना चाहती है।