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बिहार में नहीं चला पैकेज का जादू, जोर पकड़ेगी विशेष दर्जे की मांग

बिहार विधानसभा चुनाव में सवा लाख करोड़ के विशेष पैकेज का जादू भले न चला हो, लेकिन केंद्र इसके तहत घोषित एक-एक पैसा जारी करेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने चुनाव परिणाम आने के बाद रविवार को यह आश्वासन दिया।

By Test3 Test3Edited By: Published: Sun, 08 Nov 2015 05:27 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2015 05:38 PM (IST)
बिहार में नहीं चला पैकेज का जादू, जोर पकड़ेगी विशेष दर्जे की मांग

नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में सवा लाख करोड़ के विशेष पैकेज का जादू भले न चला हो, लेकिन केंद्र इसके तहत घोषित एक-एक पैसा जारी करेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने चुनाव परिणाम आने के बाद रविवार को यह आश्वासन दिया। हालांकि इसके संकेत हैं कि राजनीतिक वजहों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग को फिर से हवा देने की कोशिश करेगी। महागठबंधन के नेता पैकेज को लेकर अब तक नाखुशी जाहिर करते रहे हैं।

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महागठबंधन नेता खासकर नीतीश केंद्र के पैकेज को अपर्याप्त बताते हुए राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भी कई बार कहा कि केंद्र को राज्य के विकास में मदद के लिए विशेष दर्जा देना चाहिए। ऐसे में माना जा रहा है कि पैकेज से असंतुष्ट महागठबंधन सरकार राज्य के विकास के लिए विशेष दर्जे की मांग फिर से उठा सकती है। चुनाव परिणाम पर सवाल के जवाब में राजनाथ ने रविवार को कहा कि जो भी धनराशि बिहार पैकेज के लिए घोषित है, उसका एक-एक पैसा राज्य को जारी किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधान सभा चुनाव से पहले बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। साथ ही, उन्होंने 40,000 करोड़ रुपये की सहायता राशि विभिन्न परियोजनाओं में देने का एलान किया था। वैसे, सातवें वेतन आयोग और वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) पर खर्च को देखते हुए केंद्र के लिए पैकेज की पूरी धनराशि जारी करना चुनौतीपूर्ण होगा। इसके अलावा केंद्र ने राज्य में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए पिछड़े जिलों को टैक्स में छूट भी दी।

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पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। इसने बिहार को विशेष दर्जे की तर्ज पर मदद देने की सिफारिश की थी। वहीं राजग सरकार का कहना है कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है। इसलिए विशेष दर्जा महत्वहीन और अप्रासंगिक हो गया है।


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