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सैन्य प्रतिष्ठानों में दुर्घटनाएं रोकने के लिए रक्षा मंत्री ने गठित की विशेष समिति

विशेष कमेटी देगी सुरक्षा तकनीक से जुड़ी रिपोर्ट।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 09:12 PM (IST)
सैन्य प्रतिष्ठानों में दुर्घटनाएं रोकने के लिए रक्षा मंत्री ने गठित की विशेष समिति
सैन्य प्रतिष्ठानों में दुर्घटनाएं रोकने के लिए रक्षा मंत्री ने गठित की विशेष समिति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सैन्य प्रतिष्ठानों में आए दिन गोलाबारूद से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और इनसे होने वाली जान-माल की हानि को कम करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसी पद्धति विकसित करने की बात कही है, जिससे इस तरह के खतरों को टाला जा सके।

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राजनाथ सिंह ने दुर्घटनाओं के प्रभावों को कम करने वाली प्रणाली विकसित करने के निर्देश देते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के चैयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी और सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कम्पोज के नेतृत्व में सेवाओं, ओएफबी, डीजीक्यूए, डीआरडीओ के सदस्यों को शामिल करके एक कार्य बल का गठन किया है। साथ ही इन विशेषज्ञों की सिफारिशों की समीक्षा भी की है।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सैनिकों और आम लोगों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। पिछले एक दशक में सेना के कई हथियार डिपो हादसों का शिकार हो चुके है। आंकड़े बताते है कि साल 2000 में भरतपुर के आयुध डिपो में भयंकर आग लगी थी और 2001 में पठानकोट और गंगानगर के आयुध डिपो में करोड़ों का गोला बारूद जलकर खाक हो गया था। इसी तरह साल 2002 में जोधपुर के आयुध डिपो में आग लगी।

वहीं साल 2005 में सीएडी पुलगांव का आयुध डिपो तबाह हुआ। 2007 में कुंदरु के आयुध डिपो और 2010 में पानागढ़ के आयुध डिपो में आग लगी थी। यह सिलसिला आज भी जारी है, जिसके चलते सरकार का कई हजार करोड़ रुपया बरबाद हो चुका है और सैकड़ो की तादाद में सैनिक और आम लोग अपनी जान गवा चुके है।

खुद कैग भी अपनी रिपोर्ट में कुछ वक्त पहले भारतीय सेना के पास गोला-बारूद की कमी के लिए आयुध कारखाना बोर्ड को जिम्मेदार ठहरा चुका है और गोला बारुद के रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर चुका है। इसीलिए सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और कार्य बल की सिफारिशों को तेजी से लागू करने के निर्देश दे चुकी है।


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