जल्द वाहनों में रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप लगाना होगा अनिवार्य, जानिए क्या है वजह
हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार जल्द ही सभी प्रकार के वाहनों में चाहे उनका निर्माण कभी भी हुआ हो आगे और पीछे रात में चमकने वाला रिट्रो रिफ्लेक्टिव टेप लगाना अनिवार्य करने जा रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सड़क के किनारे गलत तरीके से पार्क किए गए वाहन रात में दूर से दिखाई नहीं पड़ते हैं। इस कारण कई मर्तबा तेज गति से आ रहे दूसरे वाहन इनसे टकराकर गंभीर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इन हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार जल्द ही सभी प्रकार के वाहनों में, चाहे उनका निर्माण कभी भी हुआ हो, आगे और पीछे रात में चमकने वाला रिट्रो रिफ्लेक्टिव टेप लगाना अनिवार्य करने जा रही है।
इस संबंध में सड़क मंत्रालय शीघ्र ही अधिसूचना जारी करेगा। इससे पहले 2008 में इस प्रकार की एक अधिसूचना जारी की जा चुकी है, जिसके अनुसार अप्रैल, 2009 के बाद निर्मित सभी कमर्शियल वाहनों में आगे-पीछे रिट्रो रिफ्लेक्टिव टेप लगाना जरूरी किया गया था। परंतु प्रस्तावित अधिसूचना कमर्शियल और प्राइवेट-सभी किस्म के मोटर वाहनों तथा अप्रैल, 2009 से पहले निर्मित वाहनों पर भी लागू होगी। इनमें ई-रिक्शा, ई-कार्ट तथा कृषि एवं कंस्ट्रक्शन के काम आने वाले उपस्कर वाहन शामिल हैं।
सड़क मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, अप्रैल, 2009 से पहले निर्मित कमर्शियल वाहनों तथा प्राइवेट वाहनों में रिफ्लेटिक्टिव टेप की अनिवार्यता नहीं होने के कारण सड़क किनारे पार्क वाहनों से टक्कर वाले हादसे बढ़ रहे थे। प्रस्तावित अधिसूचना से इनमें कमी आएगी।
अधिकारी के मुताबिक, वाहनों के आगे सफेद रंग का, जबकि पीछे लाल रंग का रिफ्लेक्टिव टेप लगाना होगा। टेप की लंबाई और चौड़ाई के मानक भी निर्धारित किए गए हैं। कमर्शियल वाहनों को इसके बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, जबकि प्राइवेट वाहनों का रजिस्ट्रेशन और प्रदूषण प्रमाणपत्र इसके बगैर नहीं बनेगा।
वर्ष 2017 में सड़कों के किनारे पार्क किए गए वाहनों से टक्कर के कारण होने वाले हादसों के परिणामस्वरूप 2317 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2018 के आंकड़े अभी आने बाकी हैं।
संयुक्त राष्ट्र के साथ किए वादे के तहत भारत सरकार को 2020 तक अपने यहां सड़क दुर्घटनाओं में मौतों को आधा करना है। इसके लिए 1988 के मोटर वाहन एक्ट में कई प्रकार के संशोधन किए गए हैं। इनमें जुर्मानों में बढ़ोतरी की अधिसूचना 1 सितंबर से लागू की जा चुकी है। ये अलग बात है कि कई राज्यों ने या तो इसे अभी लागू ही नहीं किया है अथवा जुर्मानों में अपने कमी करके लागू किया है।