सोनू सूद ने अवैध निर्माण नोटिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
सोनू सूद (Actor Sonu Sood) ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है जिसमें मुंबई के जुहू इलाके में उनकी आवासीय इमारत में कथित अवैध निर्माण को लेकर बीएमसी के नोटिस के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चर्चित अभिनेता सोनू सूद (Actor Sonu Sood) ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है जिसमें मुंबई के जुहू इलाके में उनकी आवासीय इमारत में कथित अवैध निर्माण को लेकर बीएमसी के नोटिस के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। सोनू सूद (Actor Sonu Sood) ने अपनी याचिका में कहा है कि आवासीय इमारत में कंस्ट्रक्शन के लिए उन्होंने बाकायदा महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (Maharashtra Coastal Zone Management Authority, MCZMA) में आवेदन दिया था और इसके नगर आयुक्त की ओर से इस पर मंजूरी भी दी गई थी।
सोनू सूद और उनकी पत्नी की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम 1966 की धारा 43 (1) के प्रावधानों पर विचार किए बिना पारित किया गया है। आवासीय परिसर को आवासीय होटल में बदलने के लिए साल 2018 में आवेदन संबंधित विभाग में दिया गया था। ऐसे में जब आंतरिक नवीकरण का काम पहले ही रोका जा चुका है फिर महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम 1966 की धारा 43 के प्रावधानों के अनुसार किसी अनुमति की जरूरत ही नहीं है। इसलिए इमारत में पहले से किए गए नवीनीकरण के काम को गिराने से रोका जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सूद की ओर से बीते अक्टूबर में बीएमसी द्वारा जारी नोटिस का अनुपालन करने के लिए 10 हफ्ते का समय मांगा था। यही नहीं हाईकोर्ट से नगर निकाय को निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू नहीं करने का निर्देश दिए जाने की गुहार लगाई गई थी। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया था। साथ ही सोनू सूद की याचिका खारिज कर दी। सोनू की ओर से दलील दी गई थी कि इमारत में कोई ऐसा बदलाव नहीं किया है जिसके लिए बीएमसी से इजाजत लेने की दरकार हो। जो बदलाव किए गए थे उनके लिए महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन (एमआरटीपी) कानून के तहत अनुमति दी गई है।