बड़े बदलाव का खाका तैयार
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सात मंत्रियों के त्यागपत्र ने केंद्र सरकार में बड़े फेरबदल की तैयारी का खाका खींच दिया है। राहुल गांधी सरकार में खुद भले न शामिल हों, लेकिन रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में हो रहे फेरबदल में उनके करीबियों को स्थान मिल सकता है। जबकि राहुल टीम के ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, आरपीएन सिंह या जितिन प्रसाद में किसी एक की पदोन्नति तय है। इस फेरबदल से पहले ही तीन केंद्रीय मंत्रियों अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, सुबोध कांत सहाय और तीन राज्य मंत्रियों अगाथा संगमा, महादेव खंडेला और विंसेंट पाल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जबकि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने शुक्रवार को ही त्यागपत्र दे दिया था। इनके इस्तीफे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिए हैं। रविवार की सुबह 11:30 बजे सरकार 2014 लोकसभा चुनाव से पहले का संभवत: अंतिम फेरबदल करने जा रही है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सात मंत्रियों के त्यागपत्र ने केंद्र सरकार में बड़े फेरबदल की तैयारी का खाका खींच दिया है। राहुल गांधी सरकार में खुद भले न शामिल हों, लेकिन रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में हो रहे फेरबदल में उनके करीबियों को स्थान मिल सकता है। जबकि राहुल टीम के ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, आरपीएन सिंह या जितिन प्रसाद में किसी एक की पदोन्नति तय है। इस फेरबदल से पहले ही तीन केंद्रीय मंत्रियों अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, सुबोध कांत सहाय और तीन राज्य मंत्रियों अगाथा संगमा, महादेव खंडेला और विंसेंट पाल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जबकि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने शुक्रवार को ही त्यागपत्र दे दिया था। इनके इस्तीफे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिए हैं। रविवार की सुबह 11:30 बजे सरकार 2014 लोकसभा चुनाव से पहले का संभवत: अंतिम फेरबदल करने जा रही है। लिहाजा राहुल का प्रभाव हावी होगा। पुराने और वरिष्ठ मंत्रियों की जगह सरकार को अब युवा छवि देने की कोशिश है। सात मंत्रियों के इस्तीफे से नए चेहरों के लिए जगह बनाई गई है। अंबिका सोनी और मुकुल वासनिक को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि अजय माकन, केएच मुनियप्पा, आर पुरंदेश्वरी और हरीश रावत को प्रोन्नत किया जा रहा है। पिछले आठ साल में अपनी प्रशासनिक दक्षता साबित कर चुकीं पुरंदेश्वरी को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय दिया जा रहा है जबकि इस मंत्रालय में काम कर रहे आनंद शर्मा को विदेश मंत्रालय में स्थानांतरित किया जा रहा है।
नए चेहरों में मनीष तिवारी, दीपा दासमुंशी, अबू हासेम खान चौधरी, प्रदीप मांझी, झारखंड में कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू, सर्वे सत्यनारायण, के कृपारानी, अभिनेता से नेता बने चिरंजीवी और निनांग इरींग को सरकार में शामिल किया जा रहा है। पिछली सरकार में मंत्री रह चुके महाराष्ट्र के विलास मुत्तेमवार या गुरुदास कामत में किसी एक को सरकार में लाने की चर्चा भी तेज है। माना जा रहा है कि उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय से अलग कर स्वच्छता और पेयजल का प्रभार दिया जा सकता है। एक अटकल यह भी है कि विदेश मंत्रालय का काम कर चुके शशि थरूर फिर से सरकार में वापस हो सकते हैं। वह सोनिया गांधी के करीबी हैं। जबकि राकांपा के कोटे से तारिक अनवर को सरकार में बतौर कृषि राज्यमंत्री लाया जा रहा है। चर्चा यह भी है कि राजीव शुक्ला को किसी एक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार देकर प्रोन्नत किया जा सकता है।
बताते हैं कि लंबे समय से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सुधार संबंधी कोई विधेयक पारित करवाने में असफल रहे कपिल सिब्बल के पर कतरे जा सकते है। उन्हें संचार मंत्रालय तक सीमित कर मानव संसाधन का जिम्मा पेट्रोलियम का काम देख रहे जयपाल रेड्डी को दिया जा सकता है। वहीं, संसदीय सामंजस्य बनाने का जिम्मा कमलनाथ को दिया जाएगा। अगले महीने से शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें सरकार को कई विधेयक पारित करवाने हैं। यह जिम्मा उनके पास अतिरिक्त कार्यभार के रूप में होगा।
संभावित नए चेहरे
मनीष तिवारी [पंजाब], दीपा दासमुंशी, ए.एच. खां चौधरी [पश्चिम बंगाल], प्रदीप मांझी [ओडिशा], प्रदीप बालमुचू [झारखंड], सर्वे सत्यनारायण, के कृपारानी, चिरंजीवी [आंध्र प्रदेश], निनांग इरींग [अरुणाचल प्रदेश]
इनकी हो सकती है पदोन्नति
अजय माकन, केएच मुनियप्पा, आर पुरंदेश्वरी, हरीश रावत, राजीव शुक्ला। इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, आरपीएन सिंह या जितिन प्रसाद में कोई एक।
फेरबदल में चुनावी गणित की भी मजबूरी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कैबिनेट के इस पुनर्गठन के पीछे कांग्रेस के सामने खाली पड़ी कुर्सियों को भरने की मजबूरी के साथ अगले चुनाव के लिए पार्टी का संतुलन सुधारने की कोशिश भी है। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के असर को कम करने की कोशिश में इन्हीं राज्यों को सबसे ज्यादा तवज्जो देने की तैयारी है। अनुभवी नेताओं पर युवाओं को वरीयता मिलने की वजह से अब केंद्र सरकार कुछ युवा भी हो जाएगी।
रविवार को होने वाले कैबिनेट फेरबदल के बारे में सूत्रों से मिल रही सूचना के आधार पर यह साफ लगता है कि इस बार सबसे ज्यादा तवज्जो आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल को मिलेगी। दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस को अगले चुनाव में अपने लिए सबसे ज्यादा संघर्ष दिखाई दे रहा है। पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री वाइएसआर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी ने राज्य में पार्टी की जड़ें हिला दी हैं और इसे हाईकमान अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में ले रहा है। तेलंगाना अलग राज्य का मुद्दा भी कांग्रेस के लिए मुसीबत बना हुआ है। लोकसभा चुनाव के साथ ही यहां विधानसभा चुनाव होने हैं। शायद यही कारण है कि नए संभावित नामों को शामिल किया गया तो इस राज्य से लगभग आधा दर्जन मंत्री होंगे।
तृणमूल कांग्रेस से टूटे रिश्तों के बाद अब कांग्रेस के समक्ष पश्चिम बंगाल में अपना आधार मजबूत करने की भी चुनौती है। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति भवन पहुंचने के बाद अब दीपा दासमुंशी और अबू हासेम खान चौधरी को शामिल कर राज्य को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास होगा। राजनीतिक रणनीति के तहत ही इस फेरबदल में उत्तर प्रदेश से जहां जितिन प्रसाद या आरपीएन सिंह को प्रोन्नत करने की चर्चा है वहीं राज्य के किसी पुराने मंत्री के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है।
उधर, भ्रष्टाचार के खिलाफ देश भर में जैसा भी माहौल बन रहा हो, लेकिन मंत्रिमंडल के फेरबदल में इसका खास प्रभाव दिखाई नहीं दिया। इस लिहाज से कोयला आवंटन के मामले में फंसे सिर्फ सुबोध कांत सहाय से इस्तीफा ले लिया गया। इस बदलाव से केंद्रीय मंत्रिमंडल की औसत उम्र भी कम हो जाने की उम्मीद है। एसएम कृष्णा और अंबिका सोनी जैसे अनुभवी नेताओं को हटाकर प्रदीप मांझी और के कृपारानी जैसे युवा चेहरे लाए जा रहे हैं।
पहले बहुमत प्राप्त करे संप्रग: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सासद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि काग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार विश्वास खो चुकी है, इसलिए मंत्रिमंडल में फेरबदल करने से पहले उसे बहुमत प्राप्त करना चाहिए।
स्थानीय भाजपा कार्यालय में पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार मंत्रिमंडल में फेरबदल कर नए चेहरों को ला रही है, जो कि अपनी छवि को बदलने का काग्रेस पार्टी का बेकार का प्रयास है। संप्रग के सहयोगी उसका साथ छोड़ रहे है। ममता बनर्जी पहले ही साथ छोड़ चुकी है, बाकी भी छोड़ने की तैयारी में हैं। एक के बाद एक काग्रेसियों द्वारा किए गए घोटाले की पोल खुलती जा रही है। पहले तो प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कहते हैं कि घोटालों में उनकी कोई भूमिका नहीं है, परंतु कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला उनके रहते ही हुआ। प्रधानमंत्री मंहगाई पर काबू पाने में विफल रहे। काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी का दामाद होने के कारण राबर्ट वाड्रा को हजार करोड़ों का मुनाफा पंहुचा गया।
अनदेखी से खफा सांसद ने दिया इस्तीफा
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में अनदेखी से खफा आंध्र प्रदेश के कांग्रेसी सांसद केएस राव ने शनिवार को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया, जबकि एक और सांसद त्यागपत्र सौंपने की तैयारी में हैं। तटीय आंध्र प्रदेश के इलुरु संसदीय क्षेत्र से सांसद केएस राव ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेज दिया है।
केएस राव ने कांग्रेस द्वारा एक बार फिर कम अनुभवी नेताओं को मौका देने और खुद को नजरअंदाज करने पर नाराजगी जताते हुए यह कदम उठाया है। केंद्रीय नेतृत्व राव को इस्तीफा वापस लेने के लिए समझाने की कोशिश कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पांच बार के सांसद राव को इस बार कैबिनेट में जगह पाने की पूरी उम्मीद थी। उन्होंने आलाकमान को फोन कॉल्स भी कीं, लेकिन जब उनकी कॉल्स उठाई ही नहीं गई, तो झुंझलाए राव ने अपना इस्तीफा भेज दिया। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज किए जाने से आहत गुंटूर से सांसद आरएस राव भी इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं।
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