यहां निकाह की तारीख काजी से नहीं, सोनम से पूछकर होती है तय
सोनम लोटस फोन पर सभी को यकीन दिलाते हुए कहते हैं, घबराओ मत। फलां दिनों में मौसम ठीक रहेगा, बारिश नहीं होगी और न ही बाढ़ आएगी।
श्रीनगर, नवीन नवाज। बकरीद आने वाली है और उसके साथ ही कश्मीर घाटी में अगले दो माह तक शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। लेकिन शादी की तैयारियों में जुटे लोग निकाह के लिए काजी से तारीख नहीं ले रहे हैं, खाना पकाने वाले परंपरागत रसोइयों जिन्हें वाजा कहा जाता है, की उपलब्धता को लेकर भी लोग परेशान नहीं हैं। वह वेदरमैन सोनम लोटस से फोन पर संपर्क कर रहे हैं, कोई वॉटसएप के जरिए तो कोई फेसबुक के जरिए उनसे संपर्क कर अगस्त-सितंबर और यहां तक कि अक्टूबर के मौसम के पूर्वानुमान के बारे में पूछ रहा है।
सोनम लोटस भी फोन पर सभी को यकीन दिलाते हुए कहते हैं, घबराओ मत। फलां दिनों में मौसम ठीक रहेगा, बारिश नहीं होगी और न ही बाढ़ आएगी। बाकी ईश्वर की कृपा होनी चाहिए। जुलाई से सितंबर के शुरुआती दिनों तक कश्मीर में बारिशों का दौर चलता है और लोेगों को लगता है कि यहां फिर से 2014 की बाढ़ आ जाएगी।
श्रीनगर शहर से एयरपोर्ट की तरफ जाने वाली सड़क पर रामबाग पुल के साथ सटे अपने कार्यालय में बैठे श्रीनगर मौसम विभाग केंद्र के निदेशक सोनम लोटस कहते हैं कि यहां लोगों को हम पर बहुत यकीन है। वह मानते हैं कि मौसम को लेकर हमारी भविष्यवाणी बहुत स्टीक होती है। लोगों का यह यकीन बना रहे है। लेकिन प्रकृति कब रुख बदले यह कहना भी तो कठिन है।
सोनम लोटस आज कश्मीर के मौसम विभाग की पहचान बन चुके हैं। उन्हें मौसम विभाग का पोस्टर ब्वाय कहा जाता है। श्रीनगर से करीब 434 किलोमीटर दूर लद्दाख प्रांत में जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर शारा गांव के रहने वाले सोनम लोटस का बचपन आसान नहीं था। जम्मू स्थित जीजीएम साइस कालेज से बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद जम्मू विश्वविद्याललय से एमफिल फिजिक्स की उपाधि प्राप्त कर उन्होंने 2005 में मौसम विभाग में अपना कैरियर शुरू किया। उसी साल कश्मीर में स्नो सुनामी ने तबाही मचाई थी।
लोटस ने वर्ष 2006-2007 तक केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अधीन प्रतिरक्षा अनुंसधान और विकास संगठन डीआरडीओ के स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टेबलिशमेंट सासे के साथ जुड कर हिमस्खलन के शुरू होने की प्रक्रिया का आकलन करते हुए उसकी चेतावनी देना शुरू की, जो लगातार स्टीक बैठती और लोटस की विश्वसनियता बढ़ती गई और 13 मई, 2008 को उन्हें आईएमडी श्रीनगर में बतौर निदेशक नियुक्त किया गया। वह इस पद पर आसीन होने वाले 14वें और एक दशक तक इस पद पर बने रहने वाले पहले निदेशक हैं। उनसे पहले जगदीश सिंह ने वर्ष 1988से 1993 तक लगातार पांच साल यह जिम्मेदारी संभाली थी।
सोनम लोटस ने कहा कि आज लोग हम पर यकीन करते हैं, उसके लिए मैं अकेला ही श्रेय का हकदार नहीं हूं। मेरे साथ करीब 50 लोगों की टीम है जो चौबीस घंटे वायुमंडल में होने वाली घटनाओं की निगरानी करती रहती है। हम एक स्टैंडर्ड अॉप्रेशनल प्रोसीजर जिसे एसआेपी कहते हें, के मुताबिक काम करते हैं। क्लाईमेटोलाजिकल सेकशन, डाटा आर्काईवल सेक्शन, हिस्टोरिकल डाटा सेक्शन, वेदर सेक्शन और अन्य कई विभाग हैं जो आपस में पूरा समन्वय बनाए रखते हैं, ताकि मौसम पूर्वानुमान की सही भविष्यवाणी हो सके।
हमारी टीम कंप्यूटराइज्ड वेदर डाटा भी लगातार जमा करती है। हवा की गति, दिशा, दबाव और अन्य कई प्रक्रियाओं की निगरानी की जाती है। इन सभी प्रक्रियाओं के आकलन के बाद ही न्यूमैरिकल वेदर प्रिडिक्शन प्रोडक्ट जिसे एनडब्लयूपी कहते हैं, तैयार होता है। इसके बाद भविष्यवाणी की जाती है। लेकिन मौसम का पूर्वानुमान घोषित करने से पहले हम आम लोगों पर होने वाले उसके प्रभाव की चर्चा भी करते हैं। इसके बाद पूर्वानुमान को सार्वजनिक किया जाता है।
सोनम लोटस ने बताया कि यहां श्रीनगर में सी-बैंड डॉपलर करीब दो साल पहले स्थापित किया गया है। इससे भी हमें मौसम का सही पूर्वानुमान लगाने में बड़ी मदद मिल रही है। इसके जरिए हम किसी इलाके में होने वाली भारी बारिश, बादल फटने, हिमपात और हिमस्खन व बर्फीले तूफान का हम करीब पांच से छह पहले ही सही अनुमान लगा सकते हैं। लेकिन एक बात को हमेशा याद रखें कि कोई भी वेदरमैन शत प्रतिशत सही नहीं हो सकता। हमारे पूर्वानुमान 80 से 90 प्रतिशत तक और वह भी कुछ ही दिनों के लिए सही होते हैं। कोई भी वेदरमैन एक साथ लंबे समय का पूर्वानुमान नहीं लगा सकता, क्योंकि प्रकृति कब रुख बदले कोई नहीं कह सकता। वर्ष 2014 की बाढ़ से पूर्व हमने इसकी चेतावनी दी थी। बाढ़ के बाद से लोगों का हम पर यकीन और बढ़ गया है। पहले लोग हमे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते थे। अब स्थिति बदल गई है।
उन्होंने कहा कि श्री अमरनाथ की यात्रा हो, कश्मीर में गर्मियों के दौरान जब पर्यटन सीजन हो या फिर सर्दियों का मौसम, यहां काम का दबाव बढ़ जाता है। पर्यटन जगत से जुड़े लोग ही नहीं कश्मीर आने के इच्छुक पर्यटक भी कई बार हमारे केंद्र में संपर्क कर, मौसम की जानकारी ले रहे होते हैं। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की तरफ जाने वाले दोनों रास्तों का मौसम पल-पल बदलता है। इसलिए हमें यात्रा मार्ग पर हरेक घंटे बाद या आधे घंटे पर संबधित लोगों के लिए एक एडवाईजरी जारी करनी पड़ती है।
सर्दियों में हिमपात से ज्यादा हिमस्खलन का हम ध्यान रखते हैं। डिफेंस के लोगों से लेकर स्थानीय प्रशासन को हम लगतार हिमस्खलन की आंशका और संभावना से लगातार सचेत करते हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरा प्रबंध किया जा सके।
सोनम लोटस की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फेसबुक पर कुछ लोगों ने उनके नाम से फर्जी एकाउंट भी बना लिए थे। उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत भी कराई थी। ऐसे ही एक फर्जी एकाउंट पर कुछ लोगों ने लिखा था कि सरकार ने मौसम विभाग से जबरन कहलाया है कि कश्मीर में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है। यह बात वर्ष 2015 की है।
लोटस ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बेहूदा था। जब मुझे पता चला कि मेरे नाम से किसी ने फेसबुक पर इस तरह का पोस्ट किया है, मैने उसी समय इससे इंकार किया। मैं एक जिम्मेदार नागरिक और अधिकारी हूं। मैं लोगों को कैसे गलत जानकारी दे सकता हूं।
कश्मीर में अक्सर बारिश, हिमपात और सूखे का कारण बनने वाले पश्चिमी विक्षोभ का जिक्र करते हुए एक बार एक स्थानीय नागरिक ने फेसबुक पर मजाकिया लहजे में लिखा था कि पश्चिमी विक्षोभ के साथ संबंधों के चलते वेदरमैन सोनम लोटस निलंबित।