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प्रायश्चित... बेटा था अपराधी, गंगा जल से बेटे के पाप को धो रही 97 वर्षीय मां

अपराधी बेटे के पापकर्मों का प्रायश्चित करने में 15 साल से जुटी हैं पार्वती पुलिसकर्मियों वकीलों आम लोगों को कराती हैं गंगा जल का पान कभी स्कूल शिक्षिका थीं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 11:55 AM (IST)
प्रायश्चित... बेटा था अपराधी, गंगा जल से बेटे के पाप को धो रही 97 वर्षीय मां
प्रायश्चित... बेटा था अपराधी, गंगा जल से बेटे के पाप को धो रही 97 वर्षीय मां

अंकुर त्रिपाठी, प्रयागराज। एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने मार गिराया, तब पता चला कि बेटा अपराधी था। बेटे के पाप का प्रायश्चित बीते 15 साल से लोगों को गंगा जल देकर कर रही हैं। 97 साल की इस मां के संकल्प की अनोखी कहानी जो भी सुनता है, समझता है, सोच में पड़ जाता है। प्रयागराज के थानों और कोर्ट-कचहरी में गंगाजली लिए लोगों को प्रसाद बांटतीं दिख जाती हैं।

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दुर्बल हो चलीं पार्वती पांडेय ने सीने में गहरा दर्द छिपा रखा है। कभी इनका समृद्ध परिवार था, मगर नियति ने नसीब में तकलीफें भी लिख रखी थीं। पति की मौत हो गई, उसके बाद ऐसा भी दिन आया कि इकलौता बेटा अलग रहने लगा। जैसे तैसे यह दुख सहन कर रही थीं कि 2004 में पुलिस ने एक दिन दरवाजा खटखटाकर बताया कि उनका बेटा अपराधी था, एनकाउंटर में मारा गया है।

बेटे की मौत और उसके अपराधी होने के दुख में वह टूट गईं। तब से वह रोज जिला मुख्यालय आकर लोगों को गंगा जल का पान कराकर बेटे के पाप का प्रायश्चित करने के साथ ही अपना दुख कम करने का प्रयास करती हैं। पार्वती से बात कीजिए तो वह अपनी जीवन गाथा बताती हैं, लेकिन बेटे के बारे में जिक्रकरने से बचने की कोशिश करती हैं। वह मूल रूप से बिहार के भोजपुर की रहने वाली हैं। परिवार बहुत पहले प्रयागराज आकर गंगा किनारे के मुहल्ले दारागंज में बस गया था। शिक्षा पूरी कर स्कूल में पढ़ाने लगी थीं। उसके बाद गाजीपुर में ब्याह हो गया। समृद्ध खानदान था उनका, लेकिन खुशी के दिन लंबे नहीं चले। एक-एक कर उनके पिता, भाइयों के बाद पति का भी निधन हो गया।

इकलौते बेटे श्लोक पंडित के सहारे जी रही थीं, मगर 19 बरस का होते-होते वह भी अलग रहने लगा। महीने में एक दो बार मिलने आता था। इधर, पार्वती खुद का घर बेचकर रसूलाबाद के पास कांशीराम आवास योजना में बने घर में एक कमरा लेकर रहने लगीं। किसी तरह गुजारा होता रहा। 2004 के दिसंबर में एक रोज पुलिस वालों ने आकर बताया कि डॉ. कार्तिकेय शर्मा का अपहरण करने वाले उनके पुत्र श्लोक को वाराणसी में एसटीएफ ने मार दिया है।

इस खबर से उन्हें गहरा आघात लगा। बेटे पर कत्ल के कई आरोप की जानकारी के बाद तो उनका जीवन राग ही बदल गया। उन्होंने बेटे के पाप का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया। उसी समय से वह प्रायश्चित करने के लिए रोज सुबह शिवकुटी घाट पर गंगा स्नान कर बेटे के किए पाप का प्रायश्चित करने लगीं। वहां मंदिर में पूजा अर्चना कर स्टील के छोटे डिब्बे में गंगा जल लेकर जिला मुख्यालय भी पहुंचती हैं। यहां एसएसपी कार्यालय और कलेक्ट्रेट में अधिकारियों, कर्मचारियों और कचहरी में वकीलों को गंगा जल से आचमन कराकर प्रसाद देती हैं। लोग श्रद्धा से गंगा जल ग्रहण कर उनका आशीर्वाद भी लेते हैं। कोई पूछे तो कहती हैं, हमें अपना दुख किसी को नहीं बताना, सब जन सुखी रहें बस...।

सहृदय पार्वती अम्मा गंगा जल से आचमन कराकर दुलार से सिर पर हाथ फेरती हैं तो सुखद अहसास होता है। ऐसे उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं, जब मां अपने बेटे के पाप का इस तरह प्रायश्चित कर रही हो। उनका आशीर्वाद मिलता रहे, वह स्वस्थ और दीर्घायु हों, यही कामना है।

- भाष्कर मिश्र, पेशकार, एसएसपी

अम्मा जी से अक्सर जिला कचहरी में आशीर्वाद और गंगा जल का प्रसाद मिलता है। अब तो यह है कि हम सभी लोग उनके आने का इंतजार भी करते हैं। उनका अब कोई सहारा भी नहीं है, हम लोग ही थोड़ी बहुत मदद करते हैं।

- दिलीप पुरी, अधिवक्ता

अम्मा जी को नहीं जानते, लेकिन वह आस्था का जल लेकर आती रहती हैं। इससे उनके प्रति मेरी भी आस्था है कि इस रूप में मां का आशीष तो मिलता है।

- रोहित राय, सिपाही


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