कुछ जरूरी बातें त्योहारों को लेकर आपकी खराब मनोदशा को बेहतर करने में मददगार साबित हो सकती है
नवरात्र में देवी का हर स्वरूप हमें एक नैतिक शिक्षा देता है। इस बार क्यों न उन्हें और ज्यादा समझने का प्रयास करें। उन पर अमल करने का संकल्प लें। यकीनन ऐसा कर सकें तो यह साल यादगार बन जाएगा।
सीमा झा। आपदा के बाद से आपने भी गौर किया होगा कि समय बड़ी तेजी से निकल रहा है। देखते-देखते त्योहारों के दिन सामने आ गए हैं। वे त्योहार, जिनका इंतजार हम पूरे साल करते हैं। पर आपदा के कारण हर तरफ नकारात्मक माहौल नजर आता है। बहुत से लोगों के मन में इन त्योहारों को लेकर उत्साह नहीं है। उनके बोझिल मन में कई आशंकाएं और बहुत सारे सवाल भी हैं। जैसे लोगों से मिलना-जुलना नहीं हो पाएगा तो कैसी त्योहारों की खुशियां, जब अपने और पड़ोस में लोगों को संक्रमण के कारण परेशानी हो तो ऐसे माहौल में त्योहार कैसे मनाएं, साफ-सफाई में मन नहीं लग रहा आदि।
मुझे लगता है ये सारी आशंकाएं एक तरह की मनोदशा है, जो त्योहार के अवसर पर बदल भी सकती है। यह सही है कि इस समय बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं हो रहा है, पर आपको अपना मूड ऑफ नहीं करना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि आपदा ने आजादी से कुछ करने की चाहत पर कुठाराघात किया है, पर यह आपके हौसले पर बिल्कुल भी भारी नहीं पड़ना चाहिए। यहां दी जा रही कुछ जरूरी बातें त्योहारों को लेकर आपकी खराब मनोदशा को बेहतर करने में मददगार हो सकती हैं :
- दशहरा हो या दीपावली या फिर छठ। देश के तमाम ऐसे महत्वपूर्ण त्योहार हमारी यादों का खास हिस्सा होते हैं। कोरोना का यह तात्कालिक दौर इसे प्रभावित नहीं कर सकता। दरअसल, हमारी भावनाएं इन त्योहारों से जुड़ी होती हैं। हमारी यादें भावनाओं पर निर्भर होती हैं यानी जितनी गहरी भावनाएं, उतनी ही गहरी और प्रभावी यादें।
- हमारे दिमाग में हर तरह की भावनाओं के खांचे या यूं कहें कमरे बने हुए हैं। उत्सव के इन दिनों में आप उन खांचों में चले जाते हैं, जहां उमंग और उल्लास होता है। हां, इन त्योहारों के साथ खराब या उदास करने वाली यादें जुड़ी हैं तो संभव है आप इस दिन भी अच्छा महसूस न करें। हालांकि आमतौर पर ऐसा बहुत कम होता है। त्योहारों से अच्छी यादों का नाता स्वाभाविक रूप से होता ही है।
- यदि आप त्योहारों पर नए कपड़े लेते हैं, तो मार्केट जाने के बजाय ऑनलाइन ही नए कपड़े मंगाने की सोच सकते हैं। घर की सफाई भी करने की सोचें। कुछ ने तो अभी से काम शुरू कर दिया है, क्योंकि यह काम भी तो दीपावली के साथ आवश्यक रूप से जुड़ा है।
- लोगों से मिलने-जुलने को लेकर मन में आशंकाएं हैं तो यह स्वाभाविक है। इस बारे में आपको पूरी सावधानी रखनी है। नियमों-निर्देशों का पालन जरूरी है, पर इन सब बातों को लेकर मन को खराब करना सही नहीं। मन को तैयार करें। इस दौर को यादगार बनाने का उपक्रम करें। यकीनन इस बार वचरुअल मिलना-जुलना आपके त्योहार को एक नया अनुभव देकर जाएगा।
- पिछले साल हमने कृत्रिम ग्रीन पटाखे चलाए ताकि प्रदूषण न फैले। इस बार एक और चीज जोड़ दें वचरुअल सेलिब्रेशन।
- हमारे हर त्योहार के साथ नैतिक कहानियां जुड़ी होती हैं, जो बुरे समय में हमें प्रेरणा देती हैं। जैसे जब राम ने रावण को मात देने के लिए एक साल संयम रखा और अपने संकल्प को कमजोर नहीं पड़ने दिया तो हमें भी उनसे सीख लेनी चाहिए। रावण रूपी अपनी आशंकाओं और तमाम कमजोरियों पर हम भी राम की तरह विजय पा सकते हैं।
- नवरात्र में देवी का हर स्वरूप हमें एक नैतिक शिक्षा देता है। इस बार क्यों न उन्हें और ज्यादा समझने का प्रयास करें। उन पर अमल करने का संकल्प लें। यकीनन, ऐसा कर सकें तो यह साल यादगार बन जाएगा। आइए, अच्छी यादें बनाएं, आने वाले दिनों में खुद को इसके लिए तैयार कर लें।
डॉ. मनु तिवारी
[वरिष्ठ मनोचिकित्सक, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा]