social security code 2019: नए सामाजिक सुरक्षा कोड में कर्मचारियों के हितों पर जोर, जानें- क्या होगा फायदा
सामाजिक सुरक्षा कोड के अनुसार अब पांच वर्ष से कम अवधि के फिक्स- टर्म रोजगार में भी ग्रेच्युटी तथा खतरनाक उद्योगों में एक कर्मचारी को भी ESI के दायरे में लाने के प्रावधान है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्मचारियों के दिन थोड़े बहुरने वाले हैं। संशोधित सामाजिक सुरक्षा कोड के अनुसार अब पांच वर्ष से कम अवधि के फिक्स- टर्म रोजगार में भी ग्रेच्युटी तथा खतरनाक उद्योगों में एक कर्मचारी को भी ईएसआइ के दायरे में लाने के प्रावधान प्रमुख हैं। सामाजिक सुरक्षा कोड में कर्मचारियों के घर और दफ्तर के बीच आवागमन के दौरान दुर्घटना की स्थिति में नियोक्ता द्वारा क्षतिपूर्ति दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
नए विधेयक के अनुसार अब 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों पर भी ईएसआइ लागू हो सकेगा। हालांकि इसे स्वैच्छिक रखा गया है। अब यदि कोई प्रतिष्ठान किसी कर्मचारी का ईएसआइ में नामांकन नहीं कराता तो भी कर्मचारी को ईएसआइ के लाभ प्राप्त करने का अधिकार होगा। कोड के तहत पहली अनुसूची का विस्तार कर 20 या अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों को ईपीएफ, ईपीएस तथा ईडीएलआइ के दायरे में ला दिया गया है।
असंगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को संगठित क्षेत्र में लाने के लिए कोड में सभी प्रतिष्ठानों के पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है। भले ही उसमें कितने भी कर्मचारी हों। असंगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के पंजीकरण के लिए श्रम विभाग पर निर्भर रहने के बजाय स्थानीय निकायों के स्तर पर 'वर्कर्स फैसिलिटेशन सेंटर' स्थापित किए जाएंगे। ओला, ऊबर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स के साथ अल्पकालिक कांट्रैक्ट पर काम करने वाले ड्राइवर व जोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए रेस्त्राओं का खाना सप्लाई करने वाले डिलीवरी ब्वाय वगैरह, जिन्हें गिग तथा ऑनलाइन प्लेटफार्म वर्कर्स कहा जाता है, को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा स्कीमें तैयार करेगी। यहां तक कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर कार्य करने वाले, घरों में काम करने वाले तथा फिक्स-टर्म कर्मचारियों को भी सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी। यहां तक कि इन पर आश्रित भाइयों, बहनो आदि को भी सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। ठेका कर्मचारियों के मामले में प्रधान नियोक्ता को अंशदान करना पड़ेगा। दूसरे राज्यों से आए कर्मचारियों को आधार से जुड़े खास तरह के नंबर दिए जाएंगे।
भारतीय मजदूर संघ ने इन संशोधित प्रावधानों का स्वागत किया है। नए कोड में असंगठित कर्मचारियों के लिए ईपीएफ, ईएसआइ, सेस आधारित बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन स्कीम तथा अन्य वेल्फेयर स्कीमों को आपस में मिलाने के बजाय अलग-अलग रखा गया है। लेकिन ईएसआइ की भांति कर्मचारियों को अन्य सामाजिक सुरक्षा स्कीमों के लाभ का अधिकार भी बिना नियोक्ता की सहमति के मिलना चाहिए। बीएमएस ने ईपीएफ में कर्मचारियों के योगदान को नए कोड में भी 10 फीसद करने का प्रावधान का फिर विरोध किया है।