भारतीय पेशेवरों को चार देशों में दोहरे अंशदान से छूट
भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरे अंशदान के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने चार देशों के साथ समझौता किया है। कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्वीडन और पुर्तगाल में कार्यरत भारतीय पेशेवरों को अब इन देशों में सामाजिक सुरक्षा कोष के तहत अंशदान नहीं देना होगा, अगर वे भारत में ऐसा ही भुगतान कर रहे हैं।
नई दिल्ली। भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरे अंशदान के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने चार देशों के साथ समझौता किया है। कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्वीडन और पुर्तगाल में कार्यरत भारतीय पेशेवरों को अब इन देशों में सामाजिक सुरक्षा कोष के तहत अंशदान नहीं देना होगा, अगर वे भारत में ऐसा ही भुगतान कर रहे हैं।
प्रवासी भारतीय मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर इन देशों के साथ करार को अंतिम रूप दे दिया है। कनाडा में करीब दस लाख और स्वीडन, कनाडा व आस्ट्रेलिया में करीब दो लाख भारतीय रहते हैं। इस समझौते का लाभ भारत की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मिलेगा और उनका वित्तीय बोझ कम होगा। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार संविदा पर कुछ सालों के लिए विदेश में काम करने गए भारतीय पेशेवरों को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। उन्हें उन देशों की सामाजिक सुरक्षा योजना में अंशदान देना पड़ता है। जबकि भारतीय श्रम कानून के अनुसार, सभी नियोक्ता व कर्मचारियों को ईपीएफ एक्ट,1952 के तहत भविष्य निधि में अनिवार्य अंशदान देना होता है। लेकिन विदेश से जब ये कर्मचारी भारत लौटते हैं तो अमूमन उन्हें अंशदान की रकम नहीं मिलती। दरअसल इन देशों में सामाजिक सुरक्षा कोष की रकम लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है। ब्रिटेन और जापान से भी ऐसे करार पर बातचीत चल रही है। फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, डेनमार्क, बेल्जियम और फ्रांस के साथ ऐसे समझौते पर भारत पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है।
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