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..तो तीन गुना बढ़ानी होगी कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान की रफ्तार

पहले से ही इस महाअभियान के प्रति लोगों को जागरूक करने वैक्सीन की व्यवस्था से लेकर कई बाधाओं से निपटने की तैयारी मुकम्मल होती दिख रही है। अब बस लक्षित समय में सबका टीकाकरण करना है। बस सबको टीका लगवाने के लिए आगे आना होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 11:22 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 11:25 AM (IST)
..तो तीन गुना बढ़ानी होगी कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान की रफ्तार
आज से शुरू हो रहे नए टीकाकरण अभियान की पड़ताल हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

डॉ चंद्रकांत लहारिया। चीन के वुहान से फैलने के 18 महीने बाद अब तक कोरोना वायरस 17.90 करोड़ लोगों को संक्रमित कर चुका है। 38.77 लाख लोग असमय काल-कवलित हो चुके हैं। हर लहर पूर्व की लहर से ज्यादा गंभीर होती जा रही है। ऐसे में महामारी के खिलाफ प्रभावी असर सिर्फ इस वायरस का टीका ही दिखा पा रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस सहित कई देशों के साथ भारत ने भी इसका टीका कम समय में खोज निकाला। दुनिया भर में जल्द से जल्द टीकाकरण पूरा कर लेने की कोशिशें हो रही हैं। अब तक 2.4 अरब यानी एक तिहाई आबादी को टीके लगाए जा चुके हैं। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में सबका टीकाकरण बड़ी चुनौती थी। टीकाकरण नीति को लेकर भी राजनीति होती रही। अब केंद्र सरकार ने पूरे टीकाकरण अभियान को अपने हाथ में ले लिया है।

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18 साल से ऊपर सभी लोगों को केंद्र सरकार मुफ्त टीका लगाएगी। विदेशी कंपनियों से टीके की वही खरीद करेगी और राज्यों को तय मानकों के आधार पर टीका मुहैया कराया जाएगा। आज यानी 21 जून से इस महाअभियान का आगाज हो रहा है। चुनौती बड़ी है। प्रति सौ लोगों पर कुल टीकाकरण में हम सातवें स्थान पर हैं। पूरी तरह सुरक्षित यानी दोनों खुराक लेने वाले लोगों का फीसद बहुत कम है। लोगों में जागरूकता की कमी है। संसाधन आड़े आते रहे हैं। लेकिन हमारी खामियां ही हमारी खूबियां बन जाती हैं। तमाम अभियानों में ये बात देखी गई है। राजनीति से इतर जब समग्र देश किसी समस्या के समूल नाश को जुटता है तो पोलियो जैसी बीमारियां भाग जाती हैं। अब टीकाकरण की बागडोर केंद्र सरकार के हाथ में है। पहले से ही इस महाअभियान के प्रति लोगों को जागरूक करने, वैक्सीन की व्यवस्था से लेकर कई बाधाओं से निपटने की तैयारी मुकम्मल होती दिख रही है। अब बस लक्षित समय में सबका टीकाकरण करना है। बस, सबको टीका लगवाने के लिए आगे आना होगा। ऐसे में आज से शुरू हो रहे नए टीकाकरण अभियान की पड़ताल हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

भारत में 16 जनवरी, 2021 को देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। दुनिया के कई देशों के मुकाबले अपेक्षाकृत ज्यादा देर से शुरू हुए टीकाकरण और दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी आबादी को कोरोना वायरस से सुरक्षित करने के लिए टीका लगाना बहुत बड़ी चुनौती थी। हालांकि टीके के उत्पादन के मामले में भारत अग्रणी देश है और ऐसे में यह उम्मीद स्वाभाविक थी कि टीकाकरण में भारत बेहतर गति से आगे बढ़ेगा। हालांकि आज पांच महीने बीत जाने के बाद देश में वैक्सीन की एक और दोनों डोज लेने वाली का फीसद बहुत कम है। निश्चित तौर पर यह उन देशों की तुलना में बहुत कम है, जहां 40 से 70 फीसद तक टीकाकरण हो चुका है। ये बड़ी चिंता की बात थी, क्योंकि नेचुरल के साथ टीकाजनित इम्युनिटी आने के लिए भी एक बड़ी आबादी को कम समय में टीका लगाने की दरकार होती है। इन तरीकों से जब हम संक्रमण की चेन तोड़ते हैं तभी हमारी आर्थिक गतिविधियां सुचारु रूप से चल पाती हैं। इसकी बड़ी वजह है कि तब हम लाकडाउन जैसे हथियार का सहारा लिए बिना ही संक्रमण की रफ्तार को थाम सकते हैं। लिहाजा हमें अपनी टीकाकरण नीति में सुधार की जरूरत महसूस हुई।

हमें मानना होगा कि टीकाकरण में हमारा प्रदर्शन फीका रहा है और प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। सभी वयस्कों के लिए टीकाकरण शुरू करने और उसकी जिम्मेदारी राज्यों पर देने के बाद के हालात किसी से छिपे नहीं है। यही कारण है कि सात जून को केंद्र सरकार ने नीति में बदलाव करते हुए 18 साल से ऊपर के सभी लोगों का केंद्र के स्तर पर ही निश्शुल्क टीकाकरण का एलान कर दिया। केंद्र सरकार ही टीके खरीदेगी और राज्यों में वितरित करेगी। निजी केंद्रों को भी स्पष्ट किया गया है कि टीके की कीमत से अधिकतम 150 रुपया ही ज्यादा ले सकेंगे।

असल में यह कदम शुरुआती रणनीति में खामी को संज्ञान में लेने जैसा है। यह समझने की बात है कि राज्यों को टीका खरीदने की जिम्मेदारी देने से तीन से चार गुना खर्च आ जाएगा। केंद्रीय स्तर पर प्रबंधन से खर्च कम होगा। अनुमान है कि सितंबर-अक्टूबर तक टीके की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। फिलहाल देश में बाकी आबादी को टीका लगाने के लिए कुछ और कदमों की जरूरत है। पहला कदम है टीकाकरण को लेकर स्पष्ट एवं विस्तृत रोडमैप बनाना। इसमें राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ हर राज्य के लिए मासिक टीकाकरण एवं आपूíत का खाका तैयार होना चाहिए। दूसरा और जरूरी कदम है ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में टीके को लेकर हिचकिचाहट को दूर करना। टीके को लेकर लोगों से संवाद की रणनीति बनानी होगी। पल्स पोलियो अभियान आदि से सीखते हुए इसमें फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद लेनी चाहिए। तीसरा कदम है सूक्ष्म स्तर पर योजना तैयार करने का। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों की मदद से सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर जगह टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध हो।

टीकाकरण की रणनीति बनाते समय ध्यान में रखना होगा कि गरीब, प्रवासी कामगार और झुग्गियों में रहने वाली आबादी इससे वंचित न रहे। इसके लिए मोबाइल टीकाकरण रणनीति अपनाई जा सकती है। ऐसे गांव जहां की आबादी 500 या 1,000 तक है, वहां मोबाइल टीकाकरण ताíकक कदम हो सकता है। इससे लोगों को कहीं जाना नहीं पड़ेगा और टीकाकरण केंद्र पर शारीरिक दूरी रखने की चुनौती भी दूर होगी। अगले कुछ महीनों में बच्चों पर टीके का ट्रायल भी पूरा हो जाएगा और वे भी टीकाकरण के पात्र हो जाएंगे। ऐसे में सरकार को विशेषज्ञों से विमर्श कर बच्चों के टीकाकरण की रणनीति पर समय रहते कदम उठाना चाहिए। राज्यों को भी एक-दूसरे के अनुभवों से सीखते हुए टीकाकरण बढ़ाने और आपूíत में सुधार के बाद तेज टीकाकरण के लिए तैयारी करनी चाहिए। मौजूदा हालात में टीका ही सबसे बड़ा हथियार है। सही ढंग से, कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण ही एकमात्र विकल्प है। भारत ने पहले भी चुनौतियों को पार किया है और कोविड-19 की चुनौती भी हम जरूर पार करेंगे।

आज से शुरू केंद्रीय स्तर पर टीकाकरण का महाअभियान एक तरह से शुरुआती रणनीति में खामियों का संज्ञान लेने सरीखा है। अपनी कमियों से ही हम सीखते हैं। अब हम हर तरह से तैयार हैं। सभी लोग आगे आएं और वैक्सीन रूपी कवच से वायरस को मुंहतोड़ जवाब दें।

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रलय के अनुसार 17 जून तक देश के 21.58 करोड़ लोगों को टीके की पहली डोज दी जा चुकी है। 4.96 करोड़ आबादी को टीके की दोनों डोज लग चुकी है। ये बात सही है कि टीके की एक ही डोज कोरोना वायरस से बचाव में प्रभावी भूमिका निभाती है, लेकिन पूर्ण कवच हमें दोनों डोज ही दिलाती है। वडरेमीटर्स डाट कॉम के अनुसार देश की आबादी 138 करोड़ है। सबसे युवा देश भारत की 0 से 18 साल की आबादी अगर पचास करोड़ मान ली जाए तो टीके की पात्र आबादी 88 करोड़ बैठती है।

दावा: सरकार ने इस साल दिसंबर तक 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के टीकाकरण का भरोसा जताया है।

अभी तक टीकाकरण: दोनों खुराक के साथ पूरी तरह सुरक्षित आबादी करीब पांच करोड़ है। लिहाजा 83 करोड़ लोगों को साल के शेष छह महीने में दोनों डोज का कवच मुहैया कराना होगा।

औसत टीकाकरण: 21 जून यानी आज से देश में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ सकती है, लेकिन इससे पहले देश के दैनिक टीकाकरण का औसत करीब 30 लाख है।

समय: छह माह

डोज: अगर यह मानकर चलें कि कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक और बॉयोलाजिकल ई जैसी वैक्सीन की पर्याप्त डोज उपलब्ध रहती हैं (जोकि काल्पनिक परिदृश्य है और टीके की उपलब्धता सबको समय से टीका देने की राह की बड़ी बाधा है) तो 83 करोड़ के लिए 166 करोड़ डोज की जरूरत होगी। इनमें से करीब 22 करोड़ लोगों को पहली डोज 17 जून तक दी जा चुकी है। शेष 144 करोड़ डोज छह महीने में दी जानी है। यानी 180 दिन में 144 करोड़ खुराक देने की जरूरत पड़ेगी। इस लिहाज से प्रतिदिन 80-90 लाख लोगों को वैक्सीन देनी होगी। जो वर्तमान रफ्तार की तीन गुनी है।

[महामारी और जन स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ]


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