..तो लटक सकती हैं दिल्ली में कई योजनाएं
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। सूबे में नई सरकार के गठन को लेकर जारी सियासत और राष्ट्रपति शासन की आहट के बीच अब शहर के विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं को पूरा किए जाने को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। मोनो रेल, बारापुला एलिवेटेड रोड का विस्तार, राव तुलाराम फ्लाईओवर सहित कई परियोजनाएं अधर में लटक गई हैं। अधिकाि
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। सूबे में नई सरकार के गठन को लेकर जारी सियासत और राष्ट्रपति शासन की आहट के बीच अब शहर के विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं को पूरा किए जाने को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। मोनो रेल, बारापुला एलिवेटेड रोड का विस्तार, राव तुलाराम फ्लाईओवर सहित कई परियोजनाएं अधर में लटक गई हैं। अधिकारियों का मानना है कि इन परियोजनाओं के मामले में दिल्ली के नए मंत्रिमंडल की मंजूरी जरूरी है।
मोनो रेल: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित सरकार ने पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क से त्रिलोकपुरी के बीच मोनो रेल चलाने की योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कराया था। इस परियोजना पर 2,235 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान लगाया गया था। वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति भी जताई थी। दीक्षित सरकार की ऐसी योजना थी कि चौथी बार सत्ता मिलने की सूरत में लोकसभा चुनाव से पहले ही इसकी शुरुआत करा दी जाएगी। लेकिन कांग्रेस सरकार की करारी हार के बाद पूरा मामला अधर में है।
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विकासपुरी से वजीराबाद तक सिग्नल फ्री परियोजना:
पिछली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने पश्चिमी दिल्ली से नोएडा तक की सड़क को सिग्नल फ्री बनाने के लिए विकासपुरी से वजीराबाद तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई थी। इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया गया था। 2200 करोड़ रुपये की इस परियोजना के तहत सात फ्लाईओवर बनाए जाने थे। यह पूरी सड़क एलिवेटेड बनाई जानी थी। पिछली सरकार से जुड़े रहे नेताओं का कहना है कि इसके लिए बजट आवंटित किया जा चुका है, लिहाजा इसे पूरा करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि बगैर मंत्रिमंडल की अनुमति के काम आगे नहीं बढ़ सकता।
राव तुलाराम फ्लाईओवर:
राव तुलाराम फ्लाईओवर के समानांतर एक और फ्लाईओवर बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। दक्षिण दिल्ली में आइआइटी से एयरपोर्ट तक की सड़क को जाम मुक्त करने के लिए बनाए जाने वाले इस फ्लाईओवर के निर्माण का मामला भी अब अधर में है। करीब दो किलोमीटर लंबे इस फ्लाईओवर पर 206 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इन परियोजनाओं के अलावा बारापुला विस्तार, दिल्ली अन्नश्री योजना का विस्तार, खाद्य सुरक्षा योजना के दूसरे चरण की शुरुआत सहित कई ऐसी सरकारी परियोजनाएं हैं जिनके भविष्य को लेकर आशंकाएं जताई जा रही हैं। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली की बहुनिकाय व्यवस्था के मद्देनजर बगैर किसी सरकार के इन्हें पूरा करना आसान नहीं होगा।
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