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'बर्फीला तेंदुआ ब्रिगेड' ने बचाई बर्फ में फंसे 114 नागरिकों की जान, कई घंटे चला ऑपरेशन

गुरेज सेक्टर का सड़क संपर्क सर्दियों में हिमपात के बाद कट जाता है। ऐसे में इस क्षेत्र में सिर्फ सेना का ही सहारा रहता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 12:40 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 12:41 AM (IST)
'बर्फीला तेंदुआ ब्रिगेड' ने बचाई बर्फ में फंसे 114 नागरिकों की जान, कई घंटे चला ऑपरेशन
'बर्फीला तेंदुआ ब्रिगेड' ने बचाई बर्फ में फंसे 114 नागरिकों की जान, कई घंटे चला ऑपरेशन

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। भारी हिमपात के कारण देश के अन्य हिस्सों से पूरी तरह कट चुके उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे गुरेज (बांडीपोर) सेक्टर में फंसे 114 नागरिकों को सेना की 'बर्फीला तेंदुआ ब्रिगेड' के जवानों ने वायुसेना की मदद से सुरक्षित निकाला। इनमें कई गंभीर रूप से बीमार नागरिक भी थे। गुरेज सेक्टर का सड़क संपर्क सर्दियों में हिमपात के बाद कट जाता है। ऐसे में इस क्षेत्र में सिर्फ सेना का ही सहारा रहता है।

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जानकारी के अनुसार, नागरिक प्रशासन ने गत सोमवार को बर्फीला तेंदुआ ब्रिगेड की दावर बटालियन को गुरेज में फंसे नागरिकों को निकालने का आग्रह किया था। इसके बाद सेना के जांबाजों ने मुश्किल हालात में ऑपरेशन का जिम्मा संभाला।

भारी बर्फबारी के बीच अभियान

भारी बर्फबारी के बीच अभियान चलाना आसान नहीं था, लेकिन नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए सेना ने सबसे पहले दावर क्षेत्र में बने सोनावाइन हेलीपैड पर बिछी बर्फ की मोटी चादर को हटाया गया, ताकि हेलीकॉप्टर को उतरा जा सके। इसके बाद जवानों ने गुरेज में विभिन्न जगहों पर फंसे लोगों को एक-एक कर निकालकर हेलीपैड तक पहुंचाया।

इस बीच, वायुसेना ने हेलीकाप्टर को उतारा और वहां फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू हुआ। गुरेज से निकाले गए लेागों में 81 पुरुष, 27 महिलाएं और छह बच्चे हैं। इनमें से तीन की हालत अत्यंत गंभीर थी और उन्हें तत्काल उपचार देकर अस्पताल पहुंचाया गया।

सेना और वायुसेना न होती तो तोड़ देते दम

स्थानीय लोगों ने बर्फीला तेंदुआ ब्रिगेड के कमांडर का आभार जताया। बांडीपोरा पहुंचे राजा अली ने कहा कि अगर सेना ने होती तो हममें से कोई यहां नहीं पहुंच पाता। मेरे चाचा की तबीयत तो बहुत बिगड़ चुकी थी, अब हम उन्हें शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) लेकर जा रहे हैं। उनकी जान सिर्फ सेना और वायुसेना की मदद से ही बची है, अन्यथा वह गुरेज में ही दम तोड़ देते।


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