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इस सांप ने एक-दो नहीं 36 बच्‍चों को दिया जन्‍म, पकड़ा गया था रिसर्च के लिए

जहर पर प्रयोग के लिए इंस्‍टीट्यूट द्वारा पकड़े गए रसेल्‍स वाइपर प्रजाति के सांप ने प्रयोगशाला में एक-दो नहीं, बल्‍कि 36 बच्‍चों को जन्‍म दिया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 01:23 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 03:05 PM (IST)
इस सांप ने एक-दो नहीं 36 बच्‍चों को दिया जन्‍म, पकड़ा गया था रिसर्च के लिए
इस सांप ने एक-दो नहीं 36 बच्‍चों को दिया जन्‍म, पकड़ा गया था रिसर्च के लिए

मुंबई (प्रेट्र)। सांप की एक खतरनाक और दुर्लभ प्रजाति रसेल्स वाइपर ने प्रयोगशाला में 36 बच्चों को एक साथ जन्म दिया है। इस सांप को महाराष्ट्र के बारामती में पकड़ा गया था, जिसे इसके विष के लिए यहां के रिसर्च इंस्टीट्यूट में लाया गया था। फिलहाल सभी बच्चों को एक विशेष बॉक्स में रखा गया है, कुछ दिन बाद इन्हें जंगल में वापस छोड़ दिया जाएगा। इस सांप को पकड़ कर 1 जुलाई को लाया गया था और 5 जुलाई को इसने बच्‍चों को जन्‍म दिया है। बता दें कि आमतौर पर सांप अंडे देते हैं, लेकिन रसेल्‍स वाइपर की प्रजाति 'ओवोविविपेरस' कैटेगरी में आती है जो अंडे नहीं बच्‍चे पैदा करते हैं।

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इस मादा रसेल्स वाइपर ने परेल स्थित हाफकिन इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग, रिसर्च एंड टेस्टिंग (एचआइटीआरटी) में पिछले सप्ताह इन बच्चों को जन्म दिया था। यह जानकारी शुक्रवार को इंस्टीट्यूट के एक उच्च अधिकारी ने दी। एचआइटीआरटी देश के उन दो संस्थानों में से एक है, जहां सांपों को उनके जहर पर प्रयोग के लिए रखा जाता है। बता दें कि एचआइटीआरटी के अलावा भारत में चेन्नई स्थित इरुला कॉपरेटिव सोसाइटी में सांपों के जहर पर प्रयोग किया जाता है।

एक बार में 20-30 बच्‍चों को जन्‍म देती है ये प्रजाति
एचआइटीआरटी की निदेशक निशिगंधा नाइक ने बताया कि अमूमन इस प्रजाति के सांप एक बार में 20 से 30 बच्चों को जन्म देते हैं। यह पहली बार है, जब इस प्रजाति के किसी सांप ने इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को जन्म दिया है। उन्होंने बताया कि इस सांप को संस्थान में एक जुलाई को लाया गया था और पांच जुलाई को इसने 36 बच्चों को जन्म दिया। इतनी संख्या में बच्चों को जन्म देने का मतलब है कि सांप की अच्छी तरह से देख-रेख की गई और अच्छी तरह से खाना दिया गया।

संस्‍थान में हैं 65 सांप
संस्थान में वर्तमान में 65 सांप हैं, जिनमें 33 कोबरा, 24 रसेल्स वाइपर, पांच क्राइट्स और तीन पिट वाइपर हैं। नाइक के मुताबिक, सांपों को संस्थान में अधिकतम 90 दिनों के लिए रखा जाता है, जिसके बाद इन्हें उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है जहां से पकड़ा जाता है। इन्हें पकड़ने के बाद इनके स्वास्थ्य की जांच की जाती है और पांच दिन बाद दूध देना शुरू कर देते हैं।

इसलिए पकड़े जाते हैं सांप
सांप काटने के बाद इलाज के लिए एंटी वेमन (विष) की जरूरत पड़ती है। इसे बनाने के लिए सांप का विष जरूरी होता है। इसलिए वैज्ञानिक इन्हें पकड़ते हैं और प्रयोग कर एंटी वेमन तैयार करते हैं।

भारत में हर साल 50 हजार लोगों की होती है मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डाटा के बारे में नाइक बताती हैं कि भारत में हर साल करीब तीन लाख लोगों को सांप काटता है, जिनमें से 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है। सांप के काटे जाने से भारत में हर 10.5 मिनट में एक व्यक्ति की मौत होती है, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोग सांप के काटे जाने से मारे जाते हैं। इसलिए इनको बचाने के लिए एंटी वेमन तैयार किया जा सके इसके लिए सांपों को पकड़ा जाता है।


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