Move to Jagran APP

शिशुओं में कटे-फटे होठ संबंधी बीमारी से बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने विकसित की ‘इंडिक्लेफ्ट टूल’

शिशुओं में कटे-फटे होठ और तालु संबंधी बीमारी से बचाव के लिए भारतीय शोधकर्ताओं ने विकसित किया इंडिक्लेफ्ट टूल

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 11:54 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 11:55 AM (IST)
शिशुओं में कटे-फटे होठ संबंधी बीमारी से बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने विकसित की ‘इंडिक्लेफ्ट टूल’
शिशुओं में कटे-फटे होठ संबंधी बीमारी से बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने विकसित की ‘इंडिक्लेफ्ट टूल’

नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। मां के गर्भ में भ्रूण के चेहरे के विकृत विकास के कारण शिशुओं में होने वाली कटे-फटे होठ और तालु संबंधी बीमारी एक जन्मजात समस्या है। भारतीय शोधकर्ताओं ने इससे निपटने के लिए ‘इंडिक्लेफ्ट टूल’ नामक एक वेब आधारित प्रणाली विकसित की है। इसका उद्देश्य कटे-फटे होठों एवं तालु के मरीजों की हिस्ट्री, परीक्षणों, दंत विसंगतियों, श्रवण दोषों के अलावा उनकी उच्चारण संबंधी समस्याओं को दर्ज करने के लिए एक व्यापक प्रोटोकॉल विकसित करना है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रणाली कटे-फटे होठों के मरीजों की ऑनलाइन रजिस्ट्री के रूप में बीमारी के उपचार और देखभाल से जुड़ी खामियों को दूर करने में मददगार हो सकती है।

loksabha election banner

इस अध्ययन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र (एनआइसी) के शोधकर्ता शामिल थे। इसके अंतर्गत दिल्ली-एनसीआर के तीन क्लेफ्ट केयर केंद्रों से 164 मामलों से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए गए हैं। परियोजना का अगला चरण नई दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ और गुवाहाटी में चल रहा है।

बीमारी के लिए जिम्मेदार कारकों का भी मूल्यांकन

परियोजना के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. ओपी खरबंदा के अनुसार, ‘इस अध्ययन के अंतर्गत बीमारी के लिए जिम्मेदार कारकों का भी मूल्यांकन किया गया है, जिसमें गर्भ धारण करने वाली महिलाओं के धूमपान, शराब पीने, गर्भावस्था की पहली तिमाही में दवाओं के सेवन की हिस्ट्री और चूल्हा या अन्य स्नोतों से निकलने वाले धुएं से संपर्क शामिल है। इन तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि कि ये कारक बच्चों में कटे-फटे होठों के मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।’

गुणवत्तापूर्ण देखभाल की आवश्यकता

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस विकृति से पीड़ित रोगियों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल की आवश्यकता है, जिसके लिए त्वरित रणनीति बनाने की जरूरत है। कटे-फटे होठ या तालु ऐसी स्थिति होती है, जब अजन्मे बच्चे में विकसित होते होठों के दोनों किनारे जुड़ नहीं पाते हैं। इसके कारण बच्चों की बोलने और चबाने की क्षमता प्रभावित होती है और उन्हें भरपूर पोषण नहीं मिल पाता है। इसके कारण दांतों की बनावट प्रभावित होती है और जबड़े और चेहरे की सुंदरता भी बिगड़ जाती है।

क्या कहते हैं आंकड़े

दुनियाभर में चेहरे से जुड़ी जन्मजात विकृतियों में से एक-तिहाई कटे-फटे होठों या तालु से संबंधित होती हैं। एशियाई देशों में इस बीमारी की दर प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर 1.7 आंकी गई है। भारत में इस बीमारी से संबंधित राष्ट्रव्यापी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए अध्ययनों के आधार पर माना जाता है कि इस बीमारी से ग्रस्त करीब 35 हजार बच्चे हर साल जन्म लेते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.