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बीड़ी पीने वालों ने 2017 में देश को 805 अरब का चूना लगाया, सनसनीखेज खुलासा

अध्ययन के मुताबिक, 15 साल से अधिक उम्र के तंबाकू का धूम्रपान करने वालों में 81 फीसद बीड़ी पीते हैं। यह संख्या 7.2 करोड़ है जो रोज ही बीड़ी का धूम्रपान करते हैं।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 08:16 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 08:16 PM (IST)
बीड़ी पीने वालों ने 2017 में देश को 805 अरब का चूना लगाया, सनसनीखेज खुलासा
बीड़ी पीने वालों ने 2017 में देश को 805 अरब का चूना लगाया, सनसनीखेज खुलासा

कोच्चि, प्रेट्र । एक अध्ययन के मुताबिक, अकेले 2017 में भारतीयों की बीड़ी पीने की आदत से देश को 805.5 अरब रुपये का नुकसान पहुंचा। यह नुकसान लोगों की खराब सेहत और जल्दी मौतों के रूप में हुआ। डेढ़ करोड़ लोग बीड़ी से होने वाले क्षति के कारण गरीबी में जीते हैं।

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पत्रिका टोबैको कंट्रोल में छपे अध्ययन के मुताबिक, भारत में बीड़ी बड़े चाव से पी जाती है। 15 साल से अधिक उम्र के तंबाकू का धूम्रपान करने वालों में 81 फीसद बीड़ी पीते हैं। यह संख्या 7.2 करोड़ है जो रोज ही बीड़ी का धूम्रपान करते हैं। बीड़ी सिगरेट का ही एक रूप है लेकिन इसमें अप्रसंस्करित तंबाकू को तेंदूपत्ता आदि में लपेटा जाता है।

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केरल में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च (सीपीपीआर) के शोधकर्ताओं का कहना है कि बीड़ी में पारंपरिक सिगरेट की तुलना में कम तंबाकू होती है लेकिन इसमें निकोटिन की मात्रा कहीं अधिक होती है जो जानलेवा है। बीड़ी के मुंह का सिरा कम जलता है और इस कारण धूम्रपान करने वाला व्यक्ति अपने शरीर में अधिक केमिकल्स सांस के जरिये ले जाता है। यह जानलेवा है।

बीड़ी पीने से कैंसर, टीबी और फेफड़ों की बीमारियां होती हैं। लेकिन इसके बावजूद इस पर टैक्स सिगरेट की तुलना में कम है। अध्ययन में बीड़ी से होने वाले आर्थिक नुकसान का पहली बार आकलन करते हुए बताया गया है कि खराब सेहत और जल्दी मौतों के रूप में देश को अकेले 2017 में 805.5 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु
अध्ययन के मुताबिक, दवाइयों, डॉक्टरों की फीस, अस्पताल बिल, परिवहन आदि पर 168.7 अरब रुपये खर्च हुए।

  • मरीज के रिश्तेदारों का अस्पताल के बाहर रुकने का खर्च और मरीज की घरेलू आय के नुकसान के रूप में 811.2 अरब रुपये बर्बाद हुए।
  • यह देश के जीडीपी का 0.5 फीसद और देश के कुल स्वास्थ्य खर्च का दो फीसद से ज्यादा है।
  • वर्ष 2016-17 में बीड़ी से मात्र 4.17 अरब रुपये का ही टैक्स मिला।

गरीब हुए और गरीब
अध्ययन में कहा गया है कि बीड़ी आम तौर पर देश के गरीब लोग पीते हैं। वे इस कारण और अधिक गरीबी के दलदल में धंस जाते हैं। भारत में हर पांच परिवारों में से एक को स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के कारण कर्ज झेलना पड़ता है। 6.3 से अधिक करोड़ लोग इस कारण गरीबी में जीने को मजबूर हो जाते हैं।

बीड़ी धूम्रपान से जुड़ी बीमारियों को और बढ़ा देती है। सीपीपीआर के रिजो एम. जॉन के मुताबिक, करीब डेढ़ करोड़ लोग तंबाकू व इससे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण गरीबी का सामना करते हैं। तंबाकू पर खर्च का असर खाद्य और शिक्षा पर भी पड़ता है।


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