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आतंकवाद की चुनौती से निपटने को साथ काम कर रहे भारत-चीन

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने कहा कि आतंकवाद और उग्रवाद का सामना कर रहे भारत-चीन इस चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट फोन आतंकियों के लिए लोगों को अपने संगठन में भर्ती करने और उनके साथ संपर्क साधने का साधन बनता जा रहा है। 'ग्रोथ नेट'

By Edited By: Published: Tue, 25 Mar 2014 02:59 AM (IST)Updated: Tue, 25 Mar 2014 08:13 AM (IST)
आतंकवाद की चुनौती से निपटने को साथ काम कर रहे भारत-चीन

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने कहा कि आतंकवाद और उग्रवाद का सामना कर रहे भारत-चीन इस चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट फोन आतंकियों के लिए लोगों को अपने संगठन में भर्ती करने और उनके साथ संपर्क साधने का साधन बनता जा रहा है।

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'ग्रोथ नेट' सेमिनार को संबोधित करते हुए सोमवार को उन्होंने कहा,'सुरक्षा के मुद्दों पर भारत-चीन साथ काम करने की शुरुआत कर चुके हैं। हम एक परिधि में आते हैं और हमारे हित भी एक जैसे हैं। हम आज एक ही तरह के उग्रवाद और आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। इन मुद्दों पर पिछले कुछ सालों से हम बातचीत कर रहे हैं।'

मेनन ने कहा कि यह सहयोग तर्कपूर्ण है क्योंकि दोनों देश अपने यहां बेहतर माहौल चाहते हैं। उनसे आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ भारत-चीन के साथ काम करने की संभावनाओं के बारे में सवाल किया गया था। भारत-चीन लंबे समय से सीमा विवाद में उलझे हैं और इसे सुलझाने के लिए लगातार बातचीत जारी रखे हुए हैं। दोनों देश आतंकवाद रोकने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास भी कर चुके हैं और दोनों के इस वर्ष भारत में चौथा अभ्यास करने की भी संभावना है।

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मेनन ने बताया कि भारत-चीन इस वर्ष अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां बनने वाले हालात के बारे में भी चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2008 के बाद से दुनियाभर में अनिश्चितता बढ़ रही है और आजकल यह अपने चरम पर है। आज जिहादी आतंकवाद दुनिया भर में फैल चुका है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो एक बड़ा बदलाव हुआ है, वह यह कि चीन तेजी से अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है और पहले के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है।

सेमिनार में मेनन ने कहा कि रूस और यूक्रेन के संकट के समाधान का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इनमें शामिल विभिन्न समूहों की वार्ता हो। ऐसा नहीं होने पर क्षेत्र को और परेशानी देखनी पड़ सकती है। यह पूछने पर कि क्या क्रीमियाई मुद्दे के जरिये रूस विश्व समुदाय का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश कर रहा था? मेनन ने कहा कि साथ ही यह बहुत सारे अनसुलझी पुरानी समस्याओं का प्रतिफल है।


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