Move to Jagran APP

बागपत में मिला महाभारत काल की राजकुमारी का कंकाल, शाही ताबूत-सोने के आभूषण भी मिले

महाभारत काल को लेकर जो लोगों के बीच भ्रम था, वो सिनौली गांव में हो रहे उत्खनन से टूटता जा रहा है। महिला कंकाल से लेकर रथ और शाही ताबूत मिलने के बाद यह कहा जा रहा है कि ये महाभारत काल के हो सकते हैं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 03:11 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 03:16 PM (IST)
बागपत में मिला महाभारत काल की राजकुमारी का कंकाल, शाही ताबूत-सोने के आभूषण भी मिले
बागपत में मिला महाभारत काल की राजकुमारी का कंकाल, शाही ताबूत-सोने के आभूषण भी मिले

बड़ौत (बागपत), जेएनएन। महाभारत काल में क्या हुआ होगा? 3000-4000 साल पहले इंसान की भेष-भूषा कैसी होगी? टीवी के पात्रों और पोस्टर्स बगैरह देखकर महाभारत काल को लेकर हमारी समझ कितनी सही है? इस तरह के अनंत सवाल ऐसे हैं, जिसके जवाब शायद सिनौली गांव की खुदाई के दौरान मिलते जा रहे हैं। शाही ताबूत, रथ, कंकाल, अभूषण समेत कई ऐसी चीजें अबतक खुदाई में मिली हैं, जिसे महाभारत काल से जोड़कर देखा जा रहा है। 

loksabha election banner

पश्चिम यूपी के बागपत जिले के सिनौली गांव में उत्खनन का कार्य अब भी जारी है। बुधवार को पुरातत्व विभाग को यहां से एक महिला का कंकाल मिला है, जिसके कानों में सोने के बने आभूषण भी हैं। सूत्रों के मुताबिक, कंकाल एक शाही ताबूत के ऊपरी सतह से मिला है। माना जा रहा है कि यह कंकाल किसी राजसी परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला का है, जो लगभग 3000-4000 साल पुराना हो सकता है। जिसका मतलब है यह कंकाल महाभारत काल की किसी राजसी परिवार की महिला का कहा जा रहा है।

शाही ताबूत की ऊपरी सतह पर मिला महिला का कंकाल

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान द्वारा सिनौली में कराए जा रहे उत्खनन के दौरान बुधवार को शाही ताबूत की ऊपरी सतह पर इस महिला का कंकाल मिला। एक हफ्ते बाद बुधवार को दोबारा सिनौली में उत्खनन कार्य शुरू हुआ। इस दौरान शाही ताबूत पर महिला का कंकाल देख सभी हैरान रह गए। महिला के कंकाल को देखकर अंदाजन इसे महाभारत काल से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बीच ताबूत के काफी हिस्से को बाहर निकाल लिया गया है, लेकिन अधिकांश हिस्सा अब भी जमीन के अंदर है। पुराविद और शोधार्थियों की टीम इसे निकालने के प्रयास में जुटी हैं।

ताबूत के पास से मिले मिट्टी के पात्र और तलवार

बताया जा रहा है कि ताबूत का एक ओर का हिस्सा एक बड़े मृदभांड (मिट्टी के पात्र) के सहारे टिका हुआ है और दूसरा हिस्सा जमीन के अंदर ईंटों की दीवार से सटा हुआ है। ताबूत के नजदीक से कई मृदभांड भी निकल रहे हैं और एक छोटे आकार की तांबे की तलवार भी मिली है। एएसआइ के अधिकारी अभी इस बाबत कुछ भी जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैं, जबकि स्थानीय इतिहासविद डॉ. अमित राय जैन पुरावशेष के शाही परिवार से ताल्लुक होने की संभावना जता रहे हैं।

किसी राजकुमारी का है कंकाल!

दरअसल, ताबूत के पास मिले मिट्टी के छोटे-छोटे आकार के पात्र और तांबे की तलवार के अलावा सोने के आभूषण से यह कहा जा रहा है कि जिस महिला का कंकाल मिला है, वह कोई राजकुमारी हो सकती है। फिलहाल उत्खनन कार्य अब भी जारी है, ऐसा माना जा रहा है कि यहां कई गहरे राज दफन हो सकते हैं। निदेशक डॉ. संजय मंजुल ने कहा कि अभी उत्खनन कार्य चल रहा है, समय आने पर जानकारी दी जाएगी।

पहले भी सिनौली से मिल चुके हैं ताबूत

बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब सिनौली गांव से कोई शाही ताबूत बरामद हुआ हो। इससे पहले भी यहां से शाही ताबूत, सोने के आभूषण, तलवार इत्यादि मिल चुके हैं। इस पर शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक अमित राय जैन का कहना है कि भारतीय उपमहाद्वीप में यह पहली बार हुआ है, जब सिनौली से शवाधान केंद्र के साथ शाही ताबूत और युद्ध रथ प्राप्त हुए हैं। इससे पहले हड़प्पा से शवाधान केंद्र पर एक साधारण किस्म का लकड़ी से निर्मित ताबूत मिला था, लेकिन सिनौली से प्राप्त शाही ताबूत अपने आप में अनोखा है। यह महाभारतकालीन लगता है।

स्वर्णिम इतिहास का साक्षी...सिनौली गांव

  • साल 2004 में हुए उत्खनन में यहां से रथ मिल चुका है।
  • साल 2005 में  यहां से आभूषणों के साथ महिलाओं के कंकाल मिले।
  • 2005 में सिनौली में वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. डीवी शर्मा के निर्देशन में ASI ने उत्खनन कराया। इस दौरान यहां पर 177 मानव कंकाल, सोने के कंगन, मनके, तलवार इत्यादि बरामद हुए।

  • 15 फरवरी, 2018 को सिनौली साइट पर ASI लालकिला संस्थान के निदेशक डॉ. संजय मंजुल के निर्देशन में लगभग साढ़े तीन महीने तक उत्खनन हुआ।
  • इस दौरान यहां से 8 मानव कंकाल, तीन तलवारों के अलावा मृदभांड, विभिन्न दुर्लभ पत्थरों के मनके मिले। इसके अलावा पांच हजार साल प्राचीन मानव योद्धाओं के तीन ताबूत, तांबे से सुसज्जित, योद्धाओं के तीन रथ भी प्राप्त हुए।

मूसलाधार बारिश बनी उत्खनन कार्य में रोड़ा

सिनौली गांव में चल रहे उत्खनन कार्य में मूसलाधार बारिश से रोड़ा डाल रखा था, लेकिन बुधवार को फिर से कार्य शुरू हुआ। दरअसल, उत्खनन के लिए लगाए गए दर्जनों ट्रेंच में इस कदर बारिश के कारण पानी भर गया था कि पंपसेट की मदद से पानी को निकलाना पड़ा। ट्रेंच और पुरा सामग्री को बचाने के लिए वहां अस्थाई घर बनाना पड़ा। पूरी तरह से वॉटरप्रूफ इस अस्थाई घर को ट्रेंच के ऊपर कर दिया जाएगा।

तीसरे चरण में हो रहा उत्खनन कार्य

गौरतलब है कि सिनौली में एक महीने पहले उत्खनन कार्य शुरू हुआ, जिसे तीन चरणों में करने का निर्णय लिया गया। 15 जनवरी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्खनन शाखा द्वितीय और भारतीय पुरातत्व संस्थान लाल किला दिल्ली ने संयुक्त रूप से यह कार्य शुरू किया। उत्खनन कार्य को एक महीने पूरा जाने जा रहा है। अब तक यहां से एक मानव कंकाल, ताम्र निर्मित लघु एंटिना तलवार, स्वर्णनिधि, छोटे-बड़े आकार के पॉट प्राप्त हो चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.