दुष्कर्म के खिलाफ कानून तो बने, लेकिन अमल नदारद
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा की मौजूदा स्थिति से खुद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी संतुष्ट नहीं है। उन्होंने यह कहने में कोई हिचक नहीं दिखाई कि दिल्ली दुष्कर्म कांड के एक साल बाद भी देश में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति में कोई बदलाव नजर नहीं आया। उन्होंने अफसोस जताया कि एक साल पहले दु
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा की मौजूदा स्थिति से खुद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी संतुष्ट नहीं है। उन्होंने यह कहने में कोई हिचक नहीं दिखाई कि दिल्ली दुष्कर्म कांड के एक साल बाद भी देश में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति में कोई बदलाव नजर नहीं आया। उन्होंने अफसोस जताया कि एक साल पहले दुष्कर्म के खिलाफ सख्त कानून बनाने के बावजूद उन पर ठोस अमल नहीं हो पाया है। और न ही जस्टिस वर्मा समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह अमली जामा पहनाया जा सका।
दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की दिल दहलाने वाली घटना की सोमवार को पहली बरसी थी। केंद्रीय मंत्री की मौत के कारण संसद की कार्यवाही तो नहीं चली, लेकिन बाहर मीरा कुमार ने उस घटना और आज की स्थिति पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि संसद ने एक सख्त कानून बनाया है, लेकिन उस कानून को अमल में लाना ज्यादा जरूरी है। क्रियान्वयन ही दुष्कर्म करने वालों के दिल में खौफ पैदा कर सकता था। उन्होंने कहा कि समाज को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए।
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लोकसभा की कार्रवाई स्थगित होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मीरा कुमार ने कहा कि पिछले साल सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ पूरा देश उठ खड़ा हुआ था और आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की गई थी। लोगों की मांग थी कि महिलाओं की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए और दुष्कर्म के आरोपियों को कड़ी-से-कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उस समय संसद की कार्रवाई चल रही थी और जनता की मांग पर कार्रवाई करते हुए संसद ने कड़ा कानून बनाया। लेकिन मेरा मानना है कि पिछले एक साल में स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
मीरा कुमार के अनुसार कड़े कानून बनाए जाने के बाद भी महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म की घटनाएं में कोई कमी नहीं आई है। कानून का उद्देश्य था कि देश में महिलाएं खुद का सुरक्षित महसूस करें, लेकिन अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई है। मीरा कुमार ने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद संसद से पारित कानून को कड़ाई से लागू करने की जरूरत है। यही नहीं, घटना के बाद सरकार के जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने लिए सुझाव देने के लिए कमेटी का गठन किया था। लेकिन अभी तक जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है।
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