फिर बढ़ी भारत-चीन में तल्खी, ड्रैगन के बदले तेवरों के चलते सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा बढ़ने के आसार
भारत और चीन के बीच एलएसी पर विवाद एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। चीन के अड़ियल रुख के चलते भारत की तरफ से कुछ नए इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से और सैनिकों की तैनाती की भी संभावना है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों की वापसी को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। रविवार को दोनों देशों के बीच चुशुल-मोल्डो के पास दिनभर चली कोर कमांडर स्तर की वार्ता न सिर्फ असफल रही है वरन बैठक के बाद दोनों पक्षों की तरफ से जो बयान जारी किए गए हैं, वह बढ़ते तनाव की तरफ इशारा करते हैं। भारत ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह उसके रचनात्मक सुझाव पर सकारात्मक कदम नहीं उठा रहा है। वहीं चीन ने एक तरह से धमकी भरे अंदाज में कहा है कि भारत को स्थिति का गलत अनुमान लगाने से बचना चाहिए और सीमा विवाद सुलझाने के लिए अभी तक जो सहमति बनी है, उस पर आगे बढ़ना चाहिए।
सैन्य जमावड़ा बढ़ने के आसार
रविवार को हुई बैठक से पहले दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 12 दौर की वार्ता हो चुकी थी। इन वार्ताओं के आधार पर ही भारत और चीन के बीच कई स्थलों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की सहमति बनी थी लेकिन रविवार के बाद जिस तरह का माहौल बना है, उससे दोनों देशों के बीच तनाव का एक नया दौर शुरू होने का खतरा पैदा हो गया है। भारत की तरफ से कुछ नए इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से और सैनिकों की तैनाती की भी संभावना है।
भारत ने स्पष्ट की स्थिति
सोमवार को भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक में एलएसी पर विवादित मुद्दे को सुलझाने को लेकर काफी गंभीर बातचीत हुई। भारतीय पक्ष ने बैठक में बताया कि एलएसी पर चीन की तरफ से मनमाने तरीके से द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करने व यथास्थिति को बदलने की वजह से स्थिति खराब हुई। इसलिए जरूरी है कि शांति की बहाली के लिए चीन उचित कदम उठाए। यह दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हाल ही में दुशांबे में हुई बातचीत में बनी सहमति के मुताबिक ही होगा।
दिए रचनात्मक सुझाव
बैठक में भारत की तरफ से बहुत रचनात्मक सुझाव दिए गए, लेकिन चीनी पक्ष इसके लिए तैयार नहीं हुआ। न ही उसकी तरफ से भविष्य में आशा जगाने वाला कोई प्रस्ताव दिया गया। ऐसे में बैठक में मौजूदा मुद्दों का कोई नतीजा नहीं निकल सका। भारतीय बयान में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि चीन समग्र द्विपक्षीय रिश्तों को ध्यान में रखते हुए मामले के समाधान के लिए तैयार होगा।
ड्रैगन के बयान में दिख रही खीज
चीन की तरफ से जारी बयान में ज्यादा तल्खी दिखती है। चीनी सेना की पश्चिमी कमान के प्रवक्ता सीनियर कर्नल लांग शोहुआ ने कहा है कि भारत को हालात का गलत अंदाज नहीं लगाना चाहिए और सीमा क्षेत्र में विवाद सुलझाने के लिए जो सहमति बनी है, उसका पालन करना चाहिए।
उलटे भारत पर लगाया आरोप
चीन ने भी दावा किया है कि 13वें दौर की वार्ता में उसके पक्षकारों की तरफ से सीमा पर तनाव खत्म करने के लिए काफी कोशिश की गई और चीन की तरफ से समग्र द्विपक्षीय सैन्य संबंधों के हितों को देखते हुए हालात को बेहतर करने की कोशिश की गई जबकि भारतीय पक्ष की तरफ से अवास्तविक मांगें रखी गई। चीन ने उलटे भारत पर ही आरोप लगाया है कि वह द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन कर रहा है।
बदला हुआ था चीनी पक्ष का अंदाज
बैठक में चीनी पक्ष का अंदाज इस बार बदला हुआ था। सूत्रों का कहना है कि भारतीय वार्ताकारों ने जब पेट्रोलिंग पाइंट 15 से चीनी सैनिकों की वापसी का मुद्दा उठाया तो उन्होंने इस पर एतराज किया। पीपी-15 नाम से इस जगह पर पूर्व में कभी चीन की तरफ से सैन्य तैनाती नहीं की गई है। हाल ही में चीनी सैनिकों ने जिस तरह से उत्तराखंड के बाराहोती और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में अकारण घुसपैठ की कोशिश की है, उससे भी उनके व्यवहार का पता चलता है।