मनमोहन ने दिया था भरोसा, संरक्षित नहीं होगी जामा मस्जिद
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को पत्र लिखकर भरोसा दिया था कि मुगलकालीन जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक का दर्जा नहीं दिया जाएगा।
नई दिल्ली । पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को पत्र लिखकर भरोसा दिया था कि मुगलकालीन जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक का दर्जा नहीं दिया जाएगा। इस तथ्य का खुलासा दिल्ली हाई कोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने हलफनामे में किया है।
हलफनामे के अनुसार, 20 अक्टूबर, 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाही इमाम को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि संस्कृति मंत्रालय व एएसआइ को निर्देश दे दिया गया है कि वह मरम्मत का काम तय वक्त में पूरा करें। संस्कृति मंत्रालय ने यह तय किया है कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक नहीं घोषित किया जाएगा। एएसआइ ने हलफनामे में कहा कि उसने जामा मस्जिद को केंद्र सरकार के तहत संरक्षित स्मारक का दर्जा देने का मुद्दा उठाया था। जामा मस्जिद संरक्षित स्मारक नहीं है, लेकिन इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए एएसआइ 1956 से समय-समय पर इसके रखरखाव का काम अपने खर्च पर कराता है। एएसआइ यह पैसा संस्कृति मंत्रालय, शाही इमाम व दिल्ली वक्फ बोर्ड से नहीं लेता है। मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
पेश मामले में सुहैल अहमद खान ने वर्ष 2004 में एक जनहित याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व आरएस एंडलॉ की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हो रही है। याचिका में जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने व उसके आसपास से अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है। नवंबर 2014 में सुहैल शाही इमाम के बेटे की दस्तारबंदी को भी चुनौती दे चुके हैं।
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