Kerala Air India Plane Crash: कोझिकोड एयर इंडिया विमान हादसे ने ताजा कर दी मंगलोर हादसे की याद, दोनों में कई समानताएं
Kerala Air India Plane Crash कोझीकोड विमान हादसे की तरह वर्ष 2010 में भी मंगलुरू में बड़ा विमान हादसा हुआ था जिसमें 158 यात्री मारे गए थे।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। Kerala Airindia Plane Crash: केरल के कोझिकोड इंटरनेशनल एयरपोर्ट (कारीपुर एयरपोर्ट) पर हुए विमान हादसे ने एक बार फिर से मेंगलुरू में हुए विमान (Air India Express Flight 812) हादसे की याद ताजा कर दी है। आज (7/8/20) देर शाम हुए हुए विमान हादसे और 22 मई 2010 को मेंगलुरू में हुए विमान हादसे में काफी कुछ समानता है। ये दोनों ही विमान दुबई से आ रहे थे। दोनों ही विमान बोइंग 737 थे। दोनों ही एयर इंडिया के विमान थे। ये दोनों ही विमान रनवे से फिसल गए थे। इन दोनों ही विमानों के फिसलने की वजह बारिश की वजह से रनवे का गीला होना था।
मेंगलुरू हादसे में विमान रनवे से फिसलने के बाद खाई से नीचे गिर गया था। शुक्रवार को हुए हादसे में दोनों पायलट की मौत होने की पुष्टि की जा रही है, वहीं मेंगलुरू विमान हादसे में विमान में सवार 158 यात्री मारे गए थे। इनमें विमान के पायलट भी शामिल थे। ये विमान एयरपोर्ट की दीवार को तोड़ता हुआ खाई में जा गिरा था।
मेंगलुरू एयरपोर्ट के जिस रनवे पर 2010 में हादसा हुआ था उसे दस दिन पूर्व ही विमानों के लिये खोला गया था। शुक्रवार को एयर इंडिया का जो विमान रनवे से फिसला उसमें कुल डीजीसीए प्रमुख के मुताबिक 195 यात्री सवार थे। कहा जा रहा है कि विमान के रनवे से फिसलने के बाद दीवार से जा टकरा और दो हिस्सों में टूट गया। इसके एक हिस्से में आग लग गई। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं।
मई 2010 में मेंगलुरू में जो विमान हादसा हुआए था उस विमान में क्रू समेत कुल 166 लोग सवार थे। इस हादसे में आठ यात्री आर्श्चयजनक रूप से बच गए थे। इस हादसे में शामिल अत्याधुनिक बोइंग 737-800 विमान को 15 जनवरी 2008 को एयर इंडिया के बेड़े में शामिल किया गया था। इस विमान को साइबेरिया के कैप्टन ज्लाटको ग्लूसिया चला रहे थे। उनके पास दस हजार घंटे की उड़ान का अनुभव था। विमान पहली टक्कर के बाद ही आग के गोले में तब्दील हो गया था जिसकी वजह से लोग बुरी तरह से झुलस गए थे। इस विमान हादसे में ज्यादातर यात्रियों के शव बुरी तरह से जले हुए ही निकाले गए थे। विमान भी जलकर खाक हो गया था। मंगलोर का ये हवाई अड्डा वर्ष 2006 से ही सेवा में है।
3 जून 2020 को भारत सरकार ने वायुसेना के पूर्व वाइस चीफ एयर मार्शल भूषण नीलकंठ गोखले के नेतृत्व में इस हादसे की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित की थी। उनके सपोर्ट के लिए चार विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया गया था। 30 सितंबर 2010 को उन्होंने इस विमान हादसे में बचे यात्रियों से पूछताछ और तकनीकी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया विमान के एक पायलट उड़ान के दौरान गहरी नींद में सो गया था। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की जांच के बाद पता चला कि पायलट ने 110 मिनट के बाद कुछ कहा था। इस रिकॉर्डर में पायलट के सोने के वक्त उसके खर्राटों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी। इसमें ये भी कहा गया कि दोनों ही पायलट इस बात को जान चुके थे कि विमान गलत जगह जा रहा है। इस दोरान दोनों के बीच इसको लेकर बात भी हुई थी और विमान भी इसको लेकर आगाह कर रहा था। इस रिपोर्ट में विमान हादसे की जिम्मेदारी पायलट की ही बताई गई थी।