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यहां जिंदा हैं ‘ पक्षीराजन’, चिड़ियों की होती है चहचहाहट

आज के वक्त में जब एक इंसान दूसरे इंसान तक की तकलीफ नहीं समझता, ऐसे दौर में भी कुछ लोग हैं जो बेजुबान पक्षियों का न केवल दर्द समझते हैं, बल्कि उसे कम करने के लिए प्रयासरत भी रहते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 12:08 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 12:08 PM (IST)
यहां जिंदा हैं ‘ पक्षीराजन’, चिड़ियों की होती है चहचहाहट
यहां जिंदा हैं ‘ पक्षीराजन’, चिड़ियों की होती है चहचहाहट

बिलासपुर, धीरेंद्र सिन्हा। जंदगी में अपनों के लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन ऐसे कम ही होते हैं जो बेजुबानों का दर्द समझते हुए इंसानियत का धर्म निभाते हैं। फिल्म 2.0 में पक्षीराजन (अभिनेता अक्षय कुमार) ने पक्षियों की सेवा में अपनी जान दे दी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक पक्षीराजन अभी जिंदा हैं। शहर की पक्षीराजन का नाम है शुभ्रा मुखर्जी, जिन्होंने 10 साल से मेहमान पक्षियों को बचाने के लिए अपने घर को घोंसला बना दिया है। यहां 300 चिड़िया प्राकृतिक माहौल में दिनभर चहचहाती मिलेंगी।

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प्रकृति प्रेमी शुभ्रा बच्चों की तरह लव बर्ड, कॉकटेल और ऑस्ट्रेलियन बर्ड को दुलार करती हैं। घर या आसपास कोई पक्षी कभी घायल या तकलीफ में हो तो पूरा इलाज करती हैं। घर में मिनी मेडिकल ट्रीटमेंट की सुविधा है। मौसम के अनुरूप उनके रहने और खाने की उचित व्यवस्था करती हैं। पक्षी जब बड़े हो जाते हैं तब उन्हें वातावरण के अनुकूल जगहों पर छोड़ देती हैं, जिससे वे स्वतंत्र जीवन व्यतीत कर सकें। अब तक 980 पक्षियों को मनियारी, कोटा व अचानकमार के जंगल में छोड़ चुकी हैं। वर्तमान में 300 से ज्यादा पक्षी घर में हैं। हर महीने उनकी देखरेख में 15 से 20 हजार रुपये खर्च करती हैं। वे सभी लोगों को पक्षियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने और बच्चों की तरह देखरेख करने का आग्रह करती हैं।

दाना चुगने में माहिर

शुभ्रा बताती हैं कि ये पक्षी उनके हाथों से आसानी से दाना खा लेते हैं। कोई भी चिड़िया घर के सदस्यों के अलावा किसी दूसरे के हाथ का दाना नहीं चुगतीं। आम लोगों को सबसे अधिक हैरत तब होती है, जब कोई दूसरे लोग इन पक्षियों को उनकी पसंद की पालक, खीरा, गेहूं, तरबूज, चना से बने दाने खिलाए तो वे नहीं खाते। घरौंदे में हर महीने दर्जनभर से अधिक अंडे भी देखे जा सकते हैं।

गर्मी में चहचहाते देखा तो समझीं दर्द

पक्षियों के प्रति शुभ्रा का यह प्रेम कब और कैसे शुरू हुआ इसके बारे में वह कहती हैं, वर्ष 2009 में एक दुकानदार के पास लव बर्ड के जोड़े बिक रहे थे। गर्मी से पक्षी जोर-जोर से चहचहा रहे थे। दुकानदार को उन पक्षियों पर जरा भी तरस नहीं आ रहा था। तब मैंने दुकानदार से सभी पांच जोड़े खरीद लिए, लेकिन दो दिनों के भीतर चार जोड़ों ने दम तोड़ दिया। कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूं। रातभर जागती रही। इसके बाद इंटरनेट पर लव बर्ड के रहन- सहन और खाने-पीने की चीजों के बारे में जाना। पति एसके मुखर्जी के सहयोग से पक्षियों के लिए घर पर ही घरौंदा तैयार किया। शुभ्रा कहती हैं कि उन्होंने बेहद समान्य तापमान वाले घरौंदे में पक्षियों को पालने का बीड़ा उठाया। आज हालात ये हैं कि उस एक जोड़े से पक्षियों के 700 से अधिक जोड़े हो गए हैं। इस कार्य में उनकी सास झरना मुखर्जी भी बराबर सहयोग करती हैं।


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