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Sawan Month 2020: जगत के पालनकर्ता भगवान शिव का मनन करें, जन कल्याण से जुड़े

Sawan Month 2020 सावन में ही गंगा का अवतरण शिव की जटाओं के माध्यम से संभव हुआ था। इसी माह में संपूर्ण जगत कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 09:35 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 09:35 AM (IST)
Sawan Month 2020: जगत के पालनकर्ता भगवान शिव का मनन करें, जन कल्याण से जुड़े
Sawan Month 2020: जगत के पालनकर्ता भगवान शिव का मनन करें, जन कल्याण से जुड़े

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Sawan Month 2020 रिमझिम फुहारें, चारों ओर हरियाली, बम भोले की गूंज और नृत्य करता मन मयूर...बताने की जरूरत नहीं कि सावन का महीना आ गया। पर्यावरण और अध्यात्म दोनों ही वजह से सावन का विशेष महत्व है। सावन का महत्व बताने के लिए वैसे तो कई कहानियां हैं और इन सभी का सार यही है कि सावन पूर्णतया भगवान शिव की आराधना का महीना है। इन दिनों की जाने वाली कावड़ यात्रा का आध्यात्मिक आशय शिव के साथ विहार करना है।

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भगवान शिव के साथ विहार का सौभाग्य उसी को मिलता है जो सावकिता और संयम का पालन करे। इसीलिए कोरोना के समय शिवोपासना के लिए संयम बरतना प्राथमिकता है। उपासना का सही अर्थ यही है कि हम अपने आराध्य देव के गुणों को भी आत्मसात करने का प्रयास करें। चातुर्मास में जब भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं, तब भोले भंडारी तीनों लोकों की सत्ता संभालते हैं। इस पवित्र माह में शिव जी ने कामदेव को भस्म किया था।

सावन में ही गंगा का अवतरण शिव की जटाओं के माध्यम से संभव हुआ था। इसी माह में संपूर्ण जगत कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था। शिव तत्व ही सत्य है, कल्याणकारी है और सुंदर भी है। शिव प्रकृति में रमने वाले देव हैं। प्रकृति के तीनों तत्वों को सत, तम और रज को धारण करने वाले, करुणावतार हैं। हमें भी प्रकृति से प्रेम करना आना चाहिए। इस माह में अनेक व्रत और त्योहार पड़ते हैं। ये पर्व हमें प्रकृति के करीब भी ले जाते हैं जैसे हरियाली तीज।

इस दिन पौधारोपण के अभियान भी चलाए जाते हैं। ये शिव उपासना के साथ ही पर्यावरण रक्षा का संकल्प लेने का भी महीना है। ये संयम का भी महीना है। खासकर खानपान का संयम। र्धािमक कारणों के अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन दिनों तामसिक भोजन जैसे मांस- मदिरा का सेवन हानिकारक होता है। संयमित रहें, भक्ति भाव के साथ कल्याणकारी कार्यों को भी संपादित करें। यही भगवान शिव की सबसे बड़ी पूजा होगी। इस कल्याण की संस्कृति को जन कल्याण से जोड़ें और शिव का मनन करें। 

देव्या गिरि

महंत, मनकामेश्वर मठ मंदिर, लखनऊ


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