Corona Update in India: देश में आइसीयू बेड और वेंटिलेटर के साथ प्रशिक्षित नर्सो की भी जरूरत, समय रहते करनी होगी तैयारी
भारत में तमाम चुनौतियों के बीच एक और चुनौती सर उठा रही है जिसे लेकर समय रहते सतर्क होने की जरूरत है। यह चुनौती है कोरोना संक्रमितों के इलाज और उनकी देखभाल के लिए नर्सो और डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
जेएनएन, नई दिल्ली। देश इस समय कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। नए मामलों का दैनिक आंकड़ा चार लाख के करीब पहुंच गया है। देश में सक्रिय मामले 35 लाख के करीब पहुंचने वाले हैं। संक्रमितों की बढ़ती संख्या से अस्पतालों और स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ने वाला दबाव भी साफ दिख रहा है। हाल के दिनों में आक्सीजन की उपलब्धता को लेकर भी देश ने मुश्किलों का सामना किया है।
इन सब चुनौतियों के बीच एक और चुनौती सर उठा रही है, जिसे लेकर समय रहते सतर्क होने की जरूरत है। यह चुनौती है कोरोना संक्रमितों के इलाज और उनकी देखभाल के लिए नर्सो और डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना। नारायण हेल्थ के संस्थापक और प्रख्यात हार्ट सर्जन डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी ने सिंबायोसिस के एक कार्यक्रम इस चुनौती की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। डॉ. शेट्टी ने कहा, 'देश गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। हमने पहले भी कई चुनौतियों को पार किया है। पिछले साल जब महामारी की शुरुआत हुई, तब हमारे पास पीपीई किट की कोई व्यवस्था नहीं थी। कुछ ही समय में हम सरप्लस पीपीई किट बनाने में सक्षम हो गए।'
वेंटिलेटर की संख्या से लेकर अन्य कई व्यवस्थाओं के मामले में आज हमारी स्थिति पहले से बेहतर है। डॉ. शेट्टी ने बताया कि संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देश में बड़ी तादाद में आइसीयू बेड और वेंटिलेटर की जरूरत है। इन्फ्रा के मामले में लगातार प्रयास के दम पर इस दिशा में सफलता मिल सकती है, लेकिन इसके साथ ही जरूरत होगी इन आइसीयू बेड और वेंटिलेटर पर इलाज ले रहे मरीजों के उचित देखभाल की। डॉ. शेट्टी ने कहा कि किसी मरीज के इलाज में जितनी भूमिका डॉक्टर की रहती है, नर्सो की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। जितनी बड़ी संख्या में आइसीयू बेड होंगे, उतनी ही बड़ी संख्या में नर्सो की जरूरत पड़ेगी।
अध्ययनरत छात्र बन सकते हैं समाधान
डॉ. शेट्टी ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं, जो नर्सिग की पढ़ाई के आखिरी वर्ष में हैं और परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इन छात्रों को सीधे काम करने का मौका दिया जा सकता है। ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जिसमें इन छात्रों को सालभर कोरोना के इलाज में भूमिका निभाने के बाद डिग्री या सर्टिफिकेट दिया जाए। सरकारी नौकरी में इन्हें प्राथमिकता में रखने का प्रस्ताव भी दिया जा सकता है। ऐसे कदमों से नर्सो की कमी की समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है।
युवाओं पर है दारोमदार
डॉ. शेट्टी ने कहा कि कोरोना से जंग में युवा बड़ी ताकत हैं। कोरोना के संक्रमण से लड़ने में युवाओं का शरीर अपेक्षाकृत ज्यादा सक्षम है। साथ ही नर्सिग में लगाए जाने वाले छात्रों का टीकाकरण भी किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें वायरस के खिलाफ रक्षा कवच मिल सके। मेडिकल की अन्य धाराओं में अध्ययनरत छात्रों को भी जोड़ने पर विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह युद्ध काल है। यह लड़ाई हम युवाओं के दम पर ही जीत सकते हैं।