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उद्धव गुट फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, मांगा शिंदे सहित 15 बागी विधायकों का निलंबन, जानें- कोर्ट ने क्या कहा

शिवसेना के व्हीप प्रमुख सुनील प्रभु ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन 15 अन्य विधायकों के निलंबन को लेकर सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल किया है। कोर्ट ने मामले को तुरंत सुनने से इनकार कर दिया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 11:03 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:28 PM (IST)
उद्धव गुट फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, मांगा शिंदे सहित 15 बागी विधायकों का निलंबन, जानें- कोर्ट ने क्या कहा
महाराष्ट्र में जारी उठापटक के बीच एक बार फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भले ही उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने के बाद महाविकास अगाड़ी सरकार चली गई हो और एकनाथ शिंदे की अगुवाई में नई सरकार ने राज्य की कमान संभाल ली हो लेकिन राजनैतिक और कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है। उद्धव ठाकरे गुट ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नयी अर्जी दाखिल की जिसमें एकनाथ शिंदे सहित 15 बागी विधायकों को निलंबित करने और सदन में मतदान करने से रोकने की मांग की है। अर्जी में कहा गया है कि इन बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही लंबित है इसलिए इनके सदन में जाकर मतदान करने पर रोक लगनी चाहिए।

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कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि वे इस अर्जी पर भी 11 जुलाई को मुख्य मामले के साथ विचार करेंगे। ये आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जेबी पार्डीवाला की पीठ ने उद्धव गुट के शिव सेना चीफ व्हिप सुनील प्रभु की अर्जी पर दिये। इससे पहले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष कोर्ट ने गत 29 जून को आदेश दिया था उसके बाद के घटनाक्रम में एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। लेकिन अभी शिंदे गुट का टेन्थ शिड्यूल के हिसाब से मर्जर नहीं हुआ है ऐसे में समस्या ये है कि वोट कैसे गिने जाएंगे। शिव सेना के दोनों गुट व्हिप जारी करेंगे ऐसे में समस्या होगी कि सदन की कार्यवाही को कैसे नियंत्रित किया जाए और किस की व्हिप मानी जाए।

सिब्बल ने कहा कि शिंदे अभी पार्टी नहीं है और पार्टी का मामला चुनाव आयोग तय करेगा। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि वे मुद्दे से अवगत हैं। इस अर्जी पर भी 11 जुलाई को मुख्य याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी। पीठ ने कहा कि देखते हैं कि क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है। अगर प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण हुई तो हलफनामा दाखिल करियेगा, उस पर भी विचार किया जाएगा।

बता दें कि गत 29 जून को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने उद्धव की अगुवाई वाली महा विकास अगाड़ी सरकार से 30 जून को सदन में बहुमत साबित करने को कहा था। इसके बाद शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 30 तारीख को होने वाला फ्लोर टेस्ट टालने की मांग की थी कोर्ट ने उसी दिन मामले की सुनवाई की लेकिन फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने के दूसरे ही दिन एकनाथ ¨शदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और देवेन्द्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बने।


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