महाराष्ट्र के बाहर चार कदम भी नहीं चल पाई शिवसेना
शिवसेना भले ही भविष्य में महाराष्ट्र से बाहर चुनाव लड़ने की योजना बना रही हो, लेकिन महाराष्ट्र से बाहर वह कभी भी सफल नहीं हो पायी है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। शिवसेना निकट भविष्य में उत्तरप्रदेश और गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। लेकिन इतिहास बताता है कि महाराष्ट्र से बाहर शिवसेना अब तक चार कदम भी नहीं चल पाई है।
शिवसेना की पहचान मूलतः महाराष्ट्र के एक क्षेत्रीय दल के रूप में रही है। लेकिन इसके संस्थापक बालासाहब ठाकरे की तेजतर्रार हिंदुत्ववादी छवि के प्रशंसक पूरे देश में रहे हैं। बालासाहब चाहते तो इस छवि की बदौलत वह शिवसेना का विस्तार देश के कई राज्यों में कर सकते थे। लेकिन उनका घोषवाक्य रहा – ‘मराठा तितुका मेलवावा, महाराष्ट्र धर्म वाढवावा’। अर्थात, मराठों को संगठित करो और महाराष्ट्र धर्म बढ़ाओ।
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इस घोषवाक्य पर अमल के चक्कर में शिवसेना कई बार मुंबईवासी गैरमराठियों पर कहर बरपाती नजर आ चुकी है। बाल ठाकरे की महाराष्ट्र से बाहर राजनीतिक विस्तार की इच्छा तो थी। लेकिन इस लक्ष्य को पाने के लिए वह कभी महाराष्ट्र से बाहर नहीं निकले।
चूंकि महाराष्ट्र में शिवसेना का भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन रहा है। इसलिए ठाकरे चाहते थे कि अन्य राज्यों में भाजपा उनके कुछ विधायकों को चुनवाकर लाए। भाजपा को यह शर्त स्वीकार न होने पर ठाकरे ने शिवसेना को 2002 और 2007 में गुजरात का चुनाव लड़वाया। लेकिन शिवसेना वहां खाता भी नहीं खोल सकी। उत्तरप्रदेश में शिवसेना का एक विधायक 1991 में चुनकर आया। लेकिन उसका अपना जनाधार था। वहां 2002 से वह लगातार चुनाव लड़ती आ रही है। जहां 2002 में वह 39, 2007 में 59 और 2012 में 31 सीटों पर चुनाव लड़ी। जहां उसे क्रमशः 0.73 फीसद, 0.5 फीसद एवं 0.37 फीसद मत ही प्राप्त हो सका। इस बार शिवसेना उत्तरप्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।
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मुंबई में बिहारियों को हमेशा निशाना बनाती रही शिवसेना 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी भाग्य आजमाने उतरी। वहां वह 80 सीटों पर चुनाव लड़ी। लेकिन उसे कुल पड़े मतों का 0.6 फीसद यानी कुल 2.11 लाख मत ही प्राप्त हुए। करीब-करीब सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। उत्तर प्रदेश और बिहार तो दूर की बात है। महाराष्ट्र के बिल्कुल पड़ोसी गोवा में भी शिवसेना पनप नहीं पाई।
गोवा में इस बार शिवसेना 20 सीटें लड़ने जा रही है। लेकिन 2012 के चुनाव में वहां उसे 210 मत ही प्राप्त हुए थे। उससे ज्यादा मत तो गोवा में समाजवादी पार्टी और जनतादल (यू) को प्राप्त हुए थे। जबकि गोवा शिवसेना के गढ़ कोकण से बिल्कुल सटा हुआ राज्य है, और मुंबई में शिवसेना के कई नेता गोवा के हैं।
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