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हिंदू आतंकवाद संबंधी बयान पर शिंदे को मांगनी पड़ी माफी

सड़क से संसद तक बने भाजपा के दबाव के बाद केंद्रीय गृहमंत्री सुशील शिंदे को हिंदू आतंकवाद पर अपने शब्द वापस लेने पड़े। जंतर-मंतर से लेकर संसद में लोकसभा अध्यक्ष की सर्वदलीय बैठक में जिस तरह से भाजपा ने तेवर दिखाए, उसके बाद संप्रग सरकार के आखिरी समझे जा रहे बजट सत्र में कोई कामकाज होने पर ही गंभीर सवाल खड़े हो गए थे। शिंदे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी के बाद जयपुर के अपने बयान को आधारहीन बताते हुए माफी मांगी। मीडिया को माफीनामा जारी कर भाजपा को भी भेजा गया। भाजपा ने भी शिंदे के बयान का स्वागत कर गतिरोध खत्म होने का संकेत दे दिया है।

By Edited By: Published: Wed, 20 Feb 2013 06:48 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2013 10:13 PM (IST)
हिंदू आतंकवाद संबंधी बयान पर शिंदे को मांगनी पड़ी माफी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सड़क से संसद तक बने भाजपा के दबाव के बाद केंद्रीय गृहमंत्री सुशील शिंदे को हिंदू आतंकवाद पर अपने शब्द वापस लेने पड़े। जंतर-मंतर से लेकर संसद में लोकसभा अध्यक्ष की सर्वदलीय बैठक में जिस तरह से भाजपा ने तेवर दिखाए, उसके बाद संप्रग सरकार के आखिरी समझे जा रहे बजट सत्र में कोई कामकाज होने पर ही गंभीर सवाल खड़े हो गए थे। शिंदे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी के बाद जयपुर के अपने बयान को आधारहीन बताते हुए माफी मांगी। मीडिया को माफीनामा जारी कर भाजपा को भी भेजा गया। भाजपा ने भी शिंदे के बयान का स्वागत कर गतिरोध खत्म होने का संकेत दे दिया है।

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सूत्रों के मुताबिक, शिंदे के बयान की भाषा और शब्दों पर खासी कशमकश हुई और भाजपा की मंजूरी के बाद ही इसे जारी किया गया। इस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की बैठक हुई और कई चरणों में बयान तैयार हुआ। कांग्रेस के चिंतन शिविर में भगवा आतंकवाद, आरएसएस और भाजपा के शिविरों में आतंकी प्रशिक्षण के बयान पर पूरी भगवा ब्रिगेड ने संप्रग पर हल्ला बोल दिया। चौतरफा दबाव के चलते शिंदे को सफाई देनी पड़ी कि उनकी मंशा किसी जाति या संस्था पर आरोप लगाने की नहीं थी। उन्हें गलत समझा गया, लिहाजा वह खेद जताते हैं। इसके बाद भाजपा महासचिव रविशंकर प्रसाद ने एलान किया कि पार्टी इसका स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि शिंदे को यह कदम पहले ही उठाना चाहिए था।

बुधवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने सरकार को आगाह किया कि भगवा आतंकवाद का बयान वापस ले, वरना सहयोग की आशा छोड़ दे। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने भी स्पष्ट कर दिया कि संसद चलाना चाहते हैं, तो शिंदे सार्वजनिक रूप से माफी मांगें, नहीं तो आतंकवादी संगठन की होने के नाते उन्हें लोकसभा में विपक्ष की नेता बने रहने का अधिकार नहीं है। जंतर-मंतर पर राजनाथ ने शिंदे के बयान को षड्यंत्र बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष को बताना चाहिए कि वह शिंदे से सहमत हैं या नहीं। अगर सहमत नहीं हैं तो शिंदे को बर्खास्त करें। उन्होंने कहा कि इस तरह भगवा रंग से जोड़कर सरकार को वोट बैंक की राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरकार नहीं चेतती है तो पूरे भारत में इसका असर दिखेगा।

मेरा बयान आधारहीन: शिंदे

पिछले महीने जयपुर में दिए बयान से गलतफहमी पैदा हो गई है। इससे समझा गया कि मैं आतंकवाद को किसी खास धर्म से जोड़ रहा था और खास राजनीतिक संगठनों पर आतंकी कैंप चलाने का आरोप लगा रहा था। आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ने का मेरा मकसद नहीं था। जयपुर के मेरे संक्षिप्त वक्तव्य में जिन संगठनों का नाम लिया गया है, उनके आतंकवाद से जुड़े होने का आभास देने का कोई आधार नहीं है।

चूंकि मेरे बयान से विवाद खड़ा हो गया है, इसीलिए मैं यह स्पष्टीकरण जारी कर उन लोगों से खेद जता रहा हूं। मैं पूरी क्षमता से भारत में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों का निवर्हन करता रहूंगा।

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