शिलांग में शांति, सेना ने फिर किया फ्लैगमार्च; आज कर्फ्यू में दी जा सकती है ढील
शिलांग में सिखों व खासी समुदाय के बीच हुआ संघर्ष अब खथ गया है। हालांकि सारी एहतियात बरती जा रही है। आज कर्फ्यू में भी ढील दी जा सकती है।
शिलांग (प्रेट्र)। शिलांग में सिखों व खासी समुदाय के बीच हुआ संघर्ष अभी थम गया है, लेकिन सरकार स्थिति को गंभीर मानते हुए सारी एहतियात बरत रही है। सेना ने तीसरे दिन लगातार शहर में फ्लैग मार्च किया। वहीं, बुधवार (आज) को कर्फ्यू में राहत दी जा सकती है। ईस्ट खासी हिल्स के उपायुक्त पीएस दखार ने कहा कि सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक उन 13 कालोनियों के अतिरिक्त बाकी शहर में कर्फ्यू में ढील दी जाएगी, जहां स्थिति नियंत्रण में है। लुमदाइनगिरी पुलिस स्टेशन व केंटोनमेंट बीट हाउस में ये सारे इलाके शामिल हैं। रात के कर्फ्यू में भी राहत देने की बात उन्होंने कही।
सालों से चल रहा विवाद
180 साल पहले अंग्रेज पंजाब से सिखों को लेकर शिलांग गए थे। उन्हें कामकाज के लिए वहां ले जाया गया था। स्वीपर लेन में वो सभी रह रहे हैं। खासी सिविल सोसायटी के ग्रुप हमेशा से मांग करते रहे हैं कि इन लोगों को वहां से हटाया जाए। पिछले दो दशकों से इसमें तेजी आई है। गुरुवार को सिखों का खासी समुदाय के लोगों से संघर्ष हो गया था। एक परिवार की बस चालक से हुई झड़प इतनी ज्यादा बढ़ गई कि पूरा शिलांग इसकी चपेट में आ गया। सोमवार को उपद्रवियों ने सीआरपीएफ के कैंप पर भी पत्थरबाजी की। हालांकि जिनके बीच विवाद हुआ उनमें समझौता हो चुका है। अलबत्ता बाकी लोग मानने में नहीं आ रहे हैं।
सिखों को शिफ्ट करने में अड़ंगा
मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने सोमवार को उप मुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसंग की अगुआई में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। इसे सिखों को स्वीपर लेन से शिफ्ट करने के विकल्पों पर विचार करना था, लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने गृह मंत्री जेम्स संगमा से मिलकर सिखों को वहां से हटाने का विरोध किया। उनका कहना था कि सिख सारी दुनिया में फैले हुए हैं। पाक व अफगान सरकारों ने भी कभी उनके घरों को नहीं हटाया। उन्हें यह फैसला स्वीकार नहीं है। जत्थेदार का कहना है कि वह सिख समुदाय के लिए बहुमंजिली इमारतें बनाने को तैयार हैं। उन्होंने सरकार से इसकी अनुमति देने का आग्रह किया।
तीन माह में सब बर्बाद: कांग्रेस
विपक्ष के नेता मुकुल संगमा ने कहा कि तीन माह में ही मेघालय सरकार ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। टूरिस्ट प्लेस एक लड़ाई के मैदान में बदल रहा है। सरकार हर मोर्चे पर फेल हो रही है। कांग्रेस नेता, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। उधर, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का एक सदस्यीय कमीशन शिलांग पहुंच गया है। मंजीत सिंह राई गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मिलकर विवादित इलाके में बने गुरुद्वारे का दौरा करेंगे।