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अयोध्या में राम मंदिर के लिए 'अपने हिस्से की जमीन' छोड़ने को तैयार शिया वक्फ बोर्ड

शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह देश में शांति, भाईचारा और एकता के लिए अपना एक तिहाई हिस्सा हिन्दुओं को मंदिर बनाने के लिए देते हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 09:35 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 09:55 AM (IST)
अयोध्या में राम मंदिर के लिए 'अपने हिस्से की जमीन' छोड़ने को तैयार शिया वक्फ बोर्ड
अयोध्या में राम मंदिर के लिए 'अपने हिस्से की जमीन' छोड़ने को तैयार शिया वक्फ बोर्ड

माला दीक्षित, नई दिल्ली। शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में मुसलमानों को मिली एक तिहाई जमीन पर अपना दावा जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी। मुसलमानों को मिली एक तिहाई जमीन पर उनका हक है। वह देश में शांति, भाईचारा और एकता के लिए अपना एक तिहाई हिस्सा हिन्दुओं को मंदिर बनाने के लिए देते हैं। बोर्ड की ओर से ये बात शुक्रवार को अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुनवाई के दौरान कही गई।

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वहीं दूसरी ओर जमीयते उलेमा ए हिन्द की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि जैसे बामियान में तालिबान ने बुद्ध की मूर्ति तोड़ी थी वैसे ही हिन्दू तालिबानियों ने यहां मस्जिद तोड़ी है। धवन की दलीलें अभी जारी हैं। मामले पर 20 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट फिलहाल इस पर सुनवाई कर रहा है कि 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मानने वाले अंश को दोबारा विचार के लिए संविधानपीठ को भेजा जाए कि नहीं। राजीव धवन ने फारुखी फैसले के अंश पर आपत्ति उठाते हुए इसे विचार के लिए संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की है। इस पर हिन्दू मुस्लिम दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पीठ कर रही है।

शुरूआत में ही शिया सेट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एसपी सिंह ने कहा कि कहीं पर भी धर्म को परिभाषित नहीं किया गया है। न तो इसे ईसाइयों में परिभाषित किया गया है और न ही इस्लाम में सिर्फ हिन्दू दर्शन में धर्म परिभाषित किया गया है जिसमें कहा गया है कि जो धारण करने योग्य है वही धर्म है। सिंह ने कहा कि इसलिए इस्माइल फारुखी फैसले में यह कहा जाना कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, एक व्यापक अवधारणा पर आधारित है। इसे पुनर्विचार के लिए भेजे जाने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही सिंह ने अयोध्या में मुसलमानों को हिस्से में मिली जमीन पर अपना दावा करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी। उसे मीर बाकी ने बनवाया था जो कि शिया था। जो मस्जिद का निर्माण कराता है वही वक्फ करने वाला यानी वाकिफ कहलाता है। पहला मुतवल्ली मीर बाकी था और वहां पर ज्यादातर शिया मुतवल्ली ही रहे। सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से मुसलमानों को मिली एक तिहाई जमीन पर शिया वक्फ बोर्ड का हक है और देश में शांति और भाईचारे के लिए वे अपना एक तिहाई हिस्सा हिन्दुओं को मंदिर बनाने के लिए देते हैं।

उधर हिन्दू महासभा की ओर से पेश वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकार इस्माइल फारुखी फैसले में मामला उलझा कर सुनवाई में देर करना चाहते हैं। यहां सवाल ये है कि ये संपत्ति भगवान रामलला की है या वक्फ प्रापर्टी है। कुछ अन्य हिन्दू पक्षों ने भी फारुखी मामला बड़ी पीठ को भेजने का विरोध किया। 

यूपी सरकार और एएसजी नहीं रख सकते पक्ष
धवन ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पक्ष रखे जाने का विरोध किया। कहा कि यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि वह तटस्थ रहेगी। उसने इस बात का उल्लंघन किया है। इसके अलावा यूपी की ओर से एएजी ने पेश होकर पक्ष रखा है जबकि एएसजी केन्द्र सरकार के होते हैं और केन्द्र सरकार अयोध्या मामले में रिसीवर है ऐसे में केन्द्र सरकार की ओर से पक्ष रखा जाना गलत है। वो पक्ष नहीं रख सकती। धवन ने शिया बोर्ड और हिन्दू पक्षकारों की दलीलों का भी विरोध किया।


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