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खंडहर हो रहा शेरशाह सूरी का सबसे नायाब किला, लगने लगा है सब्जी बाजार

यह किला सूरी वंश के बादशाहों का पुश्तैनी आवास रहा है। ये देश में पठान वास्तुकला का इकलौता किला है। यहां शेरशाह के साथ दिल्ली पर करने वाले उनके पुत्र सलीम का भी बचपन बीता था।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 06:12 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 06:13 PM (IST)
खंडहर हो रहा शेरशाह सूरी का सबसे नायाब किला, लगने लगा है सब्जी बाजार
खंडहर हो रहा शेरशाह सूरी का सबसे नायाब किला, लगने लगा है सब्जी बाजार

सासाराम [ब्रजेश पाठक]। हिंदुस्तान के तख्त-ओ-ताज पर बैठने वाले जिन सुल्तानों के बचपन की किलकारियों से कोई किला कभी आबाद हुआ करता था, वहां आज सब्जी बाजार लग रहा। जिस किले ने कभी नफासत देखी थी, वहां अब कूड़े-कचरे का ढेर है। सरकारी उदासीनता की वजह से ये किला खंडहर में तब्दील हो रहा है। शेरशाह सूरी, जिसने काबुल तक बादशाही सड़क का विस्तार किया, जिसे आज ग्रैंड ट्रंक (जीटी रोड) कहते हैं। अपने शासनकाल में देश में रुपये का प्रचलन, संगठित सैन्य व डाक व्यवस्था देने वाले शेरशाह सूरी की स्मृतियों को समेटे खड़ा यह किला मलिन और बेरौनक हो चुका है।

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सूरी वंश की धरोहर
सूरी वंश के संस्थापक व प्रसिद्ध अफगानी शासक शेरशाह सूरी के पिता हसन शाह सूरी ने लगभग सवा पांच सौ वर्ष पूर्व बिहार के सासाराम में यह किला बनवाया। यहां शेरशाह के साथ-साथ दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले उनके पुत्र सलीम शाह का भी बचपन बीता था।

भव्य नक्काशी व मेहराबदार झरोखे
वर्ष 1498-99 में शेरशाह के पिता हसन सूर खां ने इसका निर्माण कराया था। पास ही बने एक बड़े हमाम का वजूद समाप्त हो चुका है। पठान वास्तुकला का अनुपम नमूना यह किला तीन मंजिला है। बीच में बड़ा आंगन व चारों तरफ गलियारा है। चारों दिशाओं में बने दरवाजों पर लाल व नीले रंग की भव्य नक्काशी है। इसमें मेहराबदार झरोखे व ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ियां हैं।

सूरी वंश का पुश्तैनी आवास था ये किला
शाहाबाद गजेटियर के अनुसार यह किला सूरी वंश के बादशाहों का पुश्तैनी आवास रहा है। इतिहासकार डॉ. श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं कि यह पठान वास्तुकला का पूरे देश में एकमात्र प्रतिनिधि किला है। 1813 में यहां आए फ्रांसिस बुकानन ने भी इसकी प्रशंसा की थी। उन्होंने भी इस किले को दिल्ली सल्तनत के दोनों बादशाहों का पुश्तैनी आवास बताया।

100 से ज्यादा फुटपाती दुकानें लगती हैं
इस किले को न तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और न ही राज्य सरकार का कला व संस्कृति विभाग अपने अधीन ले पाया है। यहां आज की तारीख में सब्जी से लेकर अन्य चीजों की सौ से अधिक फुटपाथी दुकानें सजी हुई हैं। एक समृद्ध धरोहर हर दिन नष्ट हो रही है। दीवारों की अनूठी नक्काशी पर कील ठोककर कबाड़ टांगे जा रहे हैं।

शुरू हो रही संरक्षण की कवायद
रोहतास के उप विकास आयुक्त ओम प्रकाश पाल ने बताया कि शेरशाह के पुश्तैनी किले के बारे में जानकारी उपलब्ध कराकर उसे संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। संबंधित विभाग के अधिकारियों से सर्वे कराकर इसके जीर्णोद्धार का खाका तैयार किया जाएगा। दुकानदारों को भी वेंडर जोन में ले जाने की कार्रवाई की जाएगी, ताकि शेरशाह सूरी की स्मृतियों को संरक्षित रखा जा सके।

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