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    यूनुस को अल्टीमेटम, वापसी की तैयारी... शेख हसीना ने बांग्लादेश लौटने की बताई शर्तें

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 03:57 PM (IST)

    बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्वदेश वापसी के लिए लोकतंत्र की बहाली, अवामी लीग पर प्रतिबंध हटाने और निष्पक्ष चुनाव कराने जैसी शर्तें रखी हैं। उन्होंने यूनुस सरकार पर भारत के साथ संबंधों को खराब करने और चरमपंथी ताकतों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। हसीना ने भारत सरकार को शरण देने के लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार विरोध प्रदर्शनों पर नियंत्रण खो बैठी थी।

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    हसीना की वापसी के लिए तीन शर्तें। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि उनकी स्वदेश वापसी तीन फैक्टर पर निर्भर करती है। इसमें सहभागी लोकतंत्र की बहाली, अवामी लीग पर से प्रतिबंध हटना और स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं समावेशी चुनावों का आयोजन शामिल है।

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    भारत में एक अज्ञात स्थान से PTI को दिए एक विशेष ईमेल इंटरव्यू में हसीना ने अनिर्वाचित यूनुस सरकार पर भारत के साथ संबंधों को खतरे में डालने और चरमपंथी ताकतों को सशक्त बनाने का भी आरोप लगाया है।

    हसीना की वापसी के लिए तीन शर्तें

    हसीना ने अपनी विदेश नीति की तुलना वर्तमान अंतरिम सरकार से करते हुए कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच गहरे संबंधों को यूनुस प्रशासन की मूर्खता ने खराब कर दिया है।

    हसीना ने उन्हें शरण देने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद किया और कहा कि वह "भारत सरकार और उसके लोगों के उदार आतिथ्य के लिए अत्यंत आभारी हैं।"

    यूनुस सरकार पर भारत विरोधी आरोप

    बांग्लादेश में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना ने कई हफ्तों तक चले हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद 5 अगस्त, 2024 को देश छोड़ दिया था। इस आंदोलन के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

    जब पीटीआई ने उनसे सवाल किया कि क्या उनकी सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को ठीक से नहीं संभाला? इस पर हसीना ने कहा, "जाहिर है, हमने स्थिति पर कंट्रोल खो दिया था।"इन भयानक घटनाओं से कई सबक सीखे जा सकते हैं, लेकिन मेरे विचार से कुछ ज़िम्मेदारी तथाकथित छात्र नेताओं की भी है जिन्होंने भीड़ को उकसाया था।"

    प्रदर्शनों के बाद हसीना का इस्तीफा

    उन्होंने अंतरिम सरकार पर आरोप लगाया, "यूनुस की भारत के प्रति शत्रुता अत्यंत मूर्खतापूर्ण और आत्मघाती है। यह उन्हें एक कमजोर प्रधामंत्री के रूप में उजागर करती है, जो कि पूरी तरह से अनिर्वाचित, अराजक और चरमपंथियों के समर्थन पर निर्भर है। मुझे उम्मीद है कि मंच छोड़ने से पहले वह और ज़्यादा कूटनीतिक गलतियां नहीं करेंगे।"

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ )