'देश की अदालतों पर बोझ ज्यादा, शरई अदालतों में लेकर जाएं अपने मामले'
दारुल कजा कमेटी के ऑर्गेनाइजर काजी तबरेज आलम का कहना है कि अगर लोग शरई अदालतों में अपने मुकदमे लेकर जाएंगे तो देश की अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होगा और सरकार का पैसा भी बचेगा।
जागरण संवाददाता, रामपुर। मुसलमान कोर्ट कचहरी के चक्कर न लगाएं, बल्कि अपने मुकदमे शरई अदालतों में निपटाएं। इसके लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के हर जिले में (दारुल कजा) शरई अदालत खोलने जा रहा है। यह जानकारी बोर्ड की दारुल कजा कमेटी के ऑर्गेनाइजर काजी तबरेज आलम ने दी।
वह रामपुर में मदरसा फुरकानिया में हुए जलसे में शिरकत करने आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की अदालतों पर मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। इन्हें तय करने में सरकार का पैसा भी बहुत खर्च हो रहा है। अगर लोग शरई अदालतों में अपने मुकदमे लेकर जाएंगे तो अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होगा और सरकार का पैसा भी बचेगा। इसको ध्यान में रखते हुए बोर्ड अपनी अदालतें बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की देशभर में 60 शरई अदालतें हैं। बोर्ड की उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक में शरई अदालतें चल रही हैं।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 31 शरई अदालतें हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में केवल 17 अदालतें ही खुल सकी हैं। बोर्ड की योजना है कि हर जिले में शरई अदालत खोली जाए। कन्नौज में 16 जुलाई को शरई अदालत खुल जाएगी। शीघ्र ही मथुरा और फरुखाबाद में शरई अदालत खुलेगी। इनके अलावा राजस्थान के डोंक और मेवात में भी दो नई शरई अदालत खोलने की तैयारी है।