ड्यूटी के मामले में पुरुषों से दो कदम आगे हैं शारदा, बनीं मिसाल
घर की आर्थिक स्थिति सुधारने को की रेलवे ट्रैक मेंटेनर की नौकरी, बिलासपुर निवासी शारदा इकॉनामिक्स में ट्रिपल पीजी और पीजीडीसीए होल्डर है।
बिलासपुर [शिव सोनी]। शारदा के जीवन का संघर्ष किसी हिंदी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। आज से पांच साल पहले वह दो वक्त की रोटी के लिए तरस रही थीं। फिर भी अपने दम पर पढ़ाई पूरी की। रेलवे ट्रैकमेंटेनर जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य को अपनाने में भी हिचक नहीं दिखाई। तेज गर्मी या बरसात में भी वह भारी भरकम औजार के साथ ट्रैक की मरम्मत में लगी रहती हैं। यही वजह है कि ड्यूटी के मामले में वह पुरुषों से दो कदम आगे निकल कर मिसाल बनीं।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी शारदा ने इकॉनामिक्स में ट्रिपल पीजी और पीजीडीसीए किया है। वर्ष 2015 में रेलवे ग्रुप डी की भर्ती के लिए अप्लाई किया। इसमें सफलता अर्जित करने के लिए दिन-रात एक कर दिया। वह परीक्षा में टॉप पर रहीं। रिजल्ट जानकर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। चेहरे पर इस बात का सुकून था कि अब वह बच्चों की बेहतर ढंग से परवरिश कर पाएंगी और आर्थिक संकट नहीं रहेगा। हालांकि, वह यह नहीं जानती थीं कि उसे ट्रैक पर काम करना पड़ेगा। फिर भी उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया। नौकरी के शुरुआती दौर में कठिन परिश्रम करना पड़ा।
तेज धूप और बारिश ने खूब परीक्षा ली। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ती चली गईं। अब तो मौसम कितना ही खराब क्यों न हो वह बिना सिकन अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं। सब्बल समेत अन्य औजार लेकर वह पटरी पर पूरे समय काम करती नजर आती हैं, जबकि ट्रैकमेंटेनर का कार्य बेहद कठिन होता है। कभी पटरी किनारे घास काटनी पड़ती है तो कभी दोनों पटरियों के बीच गिरे कोयले को निकालना होता है। इस काम में काफी समय लगता है। गिट्टी व कोयले को बाहर निकालकर अलग करना पड़ता है। इसके बाद वापस पटरियों पर गिट्टी बिछानी पड़ती है। इस काम में हाथों पर छाले तक पड़ जाते हैं। इसके बाद भी शारदा कभी पीछे नहीं हटती हैं।
सुबह चार बजे उठकर पूरा करती हैं घर का काम रेलवे में ट्रैकमेंटेनरों की ड्यूटी का समय तीनों सीजन में अलग-अलग होता है। अभी सुबह 6.30 बजे उपस्थिति दर्ज करनी पड़ती है। इसलिए वह सुबह चार बजे उठकर पति, सास व बच्चों के लिए नाश्ता और कुछ खाना तैयार कर लेती हैं। इसके बाद ड्यूटी के लिए निकल पड़ती हैं। सुबह 11.30 बजे लंच होता है। इसमें वह घर जाती हैं और शेष बचा खाना पकाती हैं। इस बीच बच्चों को पढ़ाने के साथ अन्य जरूरतों को भी पूरा करती हैं। दोपहर तीन बजे फिर ड्यूटी पर तैनात हो जाती हैं। बेटी 10 साल की है और बेटा ढाई साल का है। इसी वर्ष बेटे को प्री- नर्सरी में दाखिला दिलाया है।
409 महिलाओं का कर रहीं प्रतिनिधित्व
साहसिक स्वभाव को देखकर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ट्रैकमेंटेनर एसोसिएशन ने शारदा को उप महामंत्री बना दिया। इस जवाबदारी को शारदा ने सहज स्वीकार किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कौशिक व महामंत्री संजय गुप्ता बताते हैं कि वह 409 महिला ट्रैकमेंटेनरों की आवाज बन चुकी हैं। कर्मचारियों की परेशानी को खुले मंच पर दमखम के साथ रेल प्रशासन के समक्ष रखती हैं।
ग्रुप सी में चयन की तैयारी
शारदा बताती हैं कि वह आगे बढ़ना चाहती हैं। इसके लिए रेलवे ग्रुप सी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। इसमें पति पार्थो राय का पूरा सहयोग मिल रहा है। पति परीक्षा के प्रश्नों को हल करने समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। हालांकि, तैयारी के लिए समय की बेहद कमी रहती है। नौकरी व परिवार के बाद बचे समय में पढ़ाई करती हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि इस बार सफलता मिलेगी।