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पद्म सम्मान का एलान, मुरली मनोहर जोशी और पवार समेत कई हस्तियों के नाम

पहली बार पद्म पुरस्कारों के लिए आनलाइन नामांकन प्रक्रिया में कुल 4000 लोगों के लिए 18000 से अधिक नामांकन किये गए।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 25 Jan 2017 04:21 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2017 08:08 PM (IST)
पद्म सम्मान का एलान, मुरली मनोहर जोशी और पवार समेत कई हस्तियों के नाम
पद्म सम्मान का एलान, मुरली मनोहर जोशी और पवार समेत कई हस्तियों के नाम

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कुछ न कुछ कारणों से अक्सर विवादों या चर्चा में रहने वाला पद्म पुरस्कार पर इस बार राजनीतिक मंशा, पैरवी या जनसंपर्क के दाग से दूर है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों के प्रभाव को भी झुठलाता है। अठारह सौ नामांकनों में से 89 को चुनने में केवल उनकी विलक्षणता, जनसेवा भाव और समाज के लिए योगदान को ही आधार बनाया गया है। ऐसी विभूतियों को चुना गया है जो श्रेय पाने की होड़ से दूर थे लेकिन लगातार अनूठी पहल कर समाज को समृद्ध करते रहे।

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पहली बार पद्म पुरस्कारों के लिए आनलाइन नामांकन प्रक्रिया में कुल 4000 लोगों के लिए 18000 से अधिक नामांकन किये गए। इनमें से केवल 89 लोगों का पद्म पुरस्कार के लिए चयन किया गया। पुरस्कारों को राजनीतिक भेदभाव से परे रखे जाने का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और सुंदरलाल पटवा के साथ-साथ राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार और पीए संगमा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा और पूर्व लोकसभाध्यक्ष पीए संगमा को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है। इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के भाई और पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

पद्म पुरस्कारों के चयन में कहीं भी पांच राज्यों में चुनावी छाया नजर नहीं आती है। इसके बजाय पूरे देश से अपने-अपने क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने वालों को इसमें स्थान मिला है। संप्रग सरकार के दौरान 2005 से 2014 तक पद्म पुरस्कार पाने वालों में औसतन 24 दिल्ली के होते थे। जो इन पुरस्कारों के लिए होने वाले लॉबिंग का साफ संकेत है। लेकिन इस बार दिल्ली के केवल पांच लोगों को इसके लिए चुना गया है। उनमें भी ऐसे लोग दूर रहे जिनकी दुकानें बड़ी थीं।

जनता के बीच असली काम करने वाले को ही जगह मिली है। यही वजह है कि सूची में दिल्ली के बड़े-बड़े अस्पतालों के डाक्टरों के नाम गायब हैं। इसके बजाय इंदौर में पिछले सात दशकों से रोगियों का मुफ्त इलाज करने वाली 91 साल की डाक्टर भक्ति यादव, हाईवे दुर्घटनाओं में घायल लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले वड़ोदरा के डाक्टर सुब्रतो दास, ओडिशा के दूरदराज गांव में जनजातीय परिवार में पैदा होने वाले चंडीगढ़ के किडनी रोग विशेषज्ञ डाक्टर मुकुट मिंज को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। पिछले तीन दशकों में डाक्टर मुकुट मिंज 3400 से अधिक किडनी प्रत्यारोपित कर चुके हैं।

पहली बार पद्म पुरस्कारों में मशहूर फिल्मी हीरो-हीरोइनों के नाम गायब है। तीन पा‌र्श्व गायकों को स्थान दिया गया है, जिनमें यशुदास, अनुराधा पौडवाल और कैलाश खेर शामिल हैं। प्रसिद्धि के बजाय सरकार ने अनूठी पहले करने और राष्ट्रनिर्माण में अहम भूमिका निभाने वालों को जगह मिली है। उनमें सिल्क साड़ी बुनने वाली मशीन बनाने वाले, सूखाग्रस्त इलाके में अनार की लहलहाती फसल उगाने वाले और एक करोड़ से अधिक पेड़ लगाने वाले, कोलकाता में चार दशकों से मुफ्त में अग्निशमन विभाग में अपनी सेवा देने वाले लोग शामिल हैं। वहीं मधुबनी पेंटिंग को क्षेत्रीय सीमाओं से बाहर निकालकर अंतरराष्ट्रीय आर्ट तक पहुंचाने वाली बौआ देवी को भी सम्मानित किया गया है।

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